समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्वालिटी बार जमीन मामले में उन्हें राहत दे दी है। इस मामले में रामपुर के सिविल लाइंस थाने में आज़म खान समेत अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज है। आज़म खान ने हाईकोर्ट से जमानत की गुहार लगाई थी, जिसे मंजूर कर लिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के बाद 21 अगस्त को फैसला सुरक्षित कर लिया था। अब जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच ने जमानत का फैसला सुनाया है।
डूंगरपुर मामले में आज़म खान को मिल चुकी है जमानत
इससे पहले दस सितंबर को डूंगरपुर मामले में हाईकोर्ट ने आज़म खान को जमानत दी थी। दो दिन पहले 16 सितंबर को अदालत की अवमानना के मामले में रामपुर की अदालत ने आजम को बरी किया था। आज़म खान ने रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनकी ओर से अधिवक्ता इमरानउल्लाह पक्ष रखते हुए कहा कि याची को इस मामले में राजनीतिक रंजिश के कारण फंसाया गया है।
मुकदमा 2019 में दर्ज़ हुआ और आज़म खान को 2024 में अभियुक्त बनाया गया। जमानत का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि आज़म खान का लंबा आपराधिक इतिहास है। घटना के वक्त वह तत्कालीन सरकार में नगर विकास मंत्री थे। अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग कर अपराध किया गया है।
जल्दी ही आज़म खान जेल से आएंगे बाहर
यह मामला रामपुर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में हाईवे पर स्थित सईद नगर हरदोई पट्टी में क्वालिटी बार पर कथित तौर पर अवैध कब्जा करने से जुड़ा है। इस संबंध में 2019 में राजस्व निरीक्षक अनंगराज सिंह ने एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस ने पहले चेयरमैन सैयद जफर अली जाफरी, आजम खां की पत्नी डॉ. तजीन फातिमा और बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम खान को नामजद किया था। बाद में विवेचना के दौरान सपा नेता आज़म खान को भी आरोपी बनाया गया है।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया था। बृहस्पतिवार को फैसला सुनाते हुए आज़म खान की जमानत मंजूर कर ली है। अधिवक्ता इमरानउल्लाह ने बताया कि आज़म पर दर्ज सभी मुकदमों में उनकी ज़मानत मंजूर हो चुकी है । जल्दी ही उनके जेल से बाहर आने की उम्मीद है।
क्या था मामला ?
यह मामला वर्ष 2008 का है, जब पुलिस द्वारा उनकी कार से हूटर हटाने के बाद आज़म खान ने छजलेट पुलिस स्टेशन के पास कथित तौर पर हंगामा किया था। उन्होंने अपने समर्थकों के साथ मिलकर सड़क जाम कर दी थी जिससे यातायात जाम हो गया था। प्रदर्शन हिंसक हो गया और कुछ बिजली के खंभे क्षतिग्रस्त हो गए, जिसके बाद आज़म खान के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। जिसके बाद में पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया और मामला सुनवाई के लिए गया।
कई अदालती आदेशों के बावजूद, खान अदालत में पेश नहीं हुए और मुकदमा समाप्त होने से पहले कई वर्षों तक आत्मसमर्पण करने से बचते रहे। नकवी ने बताया कि खान अब भी सीतापुर जेल में बंद हैं, लेकिन एमपी-एमएलए अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों की समीक्षा के बाद उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया।
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