अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ी एयर इंडिया की फ्लाइट आखिर कैसे टेकऑफ के तुरंत बाद क्रैश हो गई? एक महीने तक कई तरह की अटकलों के बाद एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की पहली रिपोर्ट आ गई है। 12 जून को 260 यात्रियों की जान लेने वाले इस हादसे को लेकर अब कई शक दूर हो गए हैं तो कुछ सवाल अब भी कायम हैं।
कैसे क्रैश हुआ एयर इंडिया का विमान ?
प्राथमिक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि दोनों इंजन के फ्यूल स्विच कटऑफ हो गए थे। दोनों स्विच RUN से CUTOFF पोजिशन पर चले गए। ऐसा महज एक सेकेंड के अंतराल पर हुआ। जैसे ही दोनों इंजन के लिए फ्यूल कटऑफ हुआ इसमें पावर कम होने लगी। हालांकि, इस रिपोर्ट से यह साफ नहीं हुआ है कि स्विच कैसे ऑफ हुआ? क्या यह मानवीय गलती थी? मैकेनिकल दिक्कत थी या इलेक्ट्रॉनिक गड़बड़ी? यह सबसे बड़ा सवाल अब भी बना हुआ है और आगे की जांच में सबसे अधिक फोकस इसी पर होगा।
हादसे को लेकर क्या-क्या शक दूर?
विमान हादसे के बाद कई तरह की आशंकाएं जाहिर की जा रही थीं। अब प्राथमिक रिपोर्ट ने कई थ्योरीज को पूरी तरह नकार दिया है। मौसम का फैक्टर- रिपोर्ट में पता चला है कि मौसम पूरी तरह अनुकूल था। आसमान साफ था और हवा की स्पीड बहुत कम थी। पक्षी से टक्कर- सीसीटीवी फुटेज और फिजिकल एग्जामिनेशन में इस तरह का कोई सबूत नहीं मिला है। एयर क्राफ्ट की स्थिति- टेक ऑफ के लिए फ्लैप्स सही तरीके से 5 डिग्री पर सेट थे और लैडिंग गियर सामान्य काम कर रहे थे। वेट और बैलेंस- एयरक्राफ्ट का वजन सामान्य और सीमा में था। फ्यूल क्वॉलिटी- एयरपोर्ट पर फ्यूल ट्रक्स से सैंपल लेकर जांच की गई और इसकी गुणवत्ता संतोषजनक थी। इंजन में पहले से दिक्कत- रिपोर्ट से पता चला है कि फ्यूल कटऑफ होने तक दोनों इंजन सामान्य रूप से काम करते हुए प्रतीत होते हैं।
एयर इंडिया विमान क्रैश के लिए जिम्मेदार पायलट हैं ?
अभी तक यह साफ नहीं है। कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डिंग से एक अहम बातचीत का पता चला है। एक पायलट दूसरे से कहता है कि तुमने फ्यूल क्यों कटऑफ कर दिया। दूसरा जवाब देता है कि उसने ऐसा नहीं किया है। इससे पता चलता है कि एक पायलट ने नोटिस किया कि फ्यूल कटऑफ हो गया है जबकि साथी ने ऐसा करने से इनकार किया। दूसरे पायलट की ओर से इनकार करना इस बात को पूरी तरह से खत्म नहीं करता है कि कोई मानवीय भूल नहीं हुई। लेकिन यह बताता है कि फ्यूल कट अनैच्छिक हो सकता है।
एयर इंडिया विमान के कॉकपिट में क्या हुआ ?
विमान को फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर पायलट फ्लाइंग (PF) के रूप में ऑपरेट कर रहे थे और कैप्टन सुमीत सभरवाल मॉनिटरिंग (पायलट मॉनिटरिंग-PM) कर रहे थे। सामान्य रूप से होता यह है कि जूनियर पायलट विमान को उड़ता है जबकि सीनियर कैप्टन निगरानी करता है। रिपोर्ट में कॉकपिट में सिर्फ इस बातचीत का जिक्र है। रिपोर्ट के मुताबिक, एक पायलट ने पूछा और दूसरे ने जवाब दिया। अभी यह नहीं पता कि किसने पूछा था और किसने जवाब दिया था। अडिशनल कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर की जांच के बाद और ज्यादा डिटेल सामने आने की उम्मीद है।
क्या प्लेन को दोबारा ऊपर उठाया जा सकता था ?
विमान को बचाने के लिए पायलट ने पूरी कोशिश की। फ्यूल कटऑफ के 10-14 सेकेंड्स के भीतर दोनों स्विच RUN पोजिशन पर कर दिए गए। (इंजन 1 – 08:08:52 UTC, इंजन- 2 at 08:08:56 UTC). दोनों इंजन रिस्टार्ट होने लगे। लेकिन रिकवरी संभव नहीं हो पाई क्योंकि विमान की ऊंचाई तब बहुत कम थी। पर्याप्त ऊंचाई और समय नहीं होने की वजह से विमान को दोबारा ऊपर नहीं किया जा सका। विमान तब महज 625 फीट की ऊंचाई पर था।
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