आज नोटबंदी को छह साल पूरे हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी का एलान किया था। इसके बाद पूरे देश में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट बंद हो गए थे, जो कि समय पूरे करेंसी सर्कुलेशन का कुल 86 प्रतिशत था। नोटबंदी के कुछ दिनों बाद जब दो हजार, पांच सौ और दो सौ रुपये के नोट चलन में तब जाकर स्थिति सामान्य हुई। उससे पहले लोगों को बैंकों की लंबी-लंबी कतार में लगकर अपने नोट बदलने पड़े। कई जगहों पर शादी-विवाह के मौके पर लोगों को खासी परेशानी झेलनी पड़ी थी। हालांकि एक बार जब बाजार में नए नोट चलन में आ गए तो धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो गई।
नोटबंदी के बाद देश में करेंसी नोटों के प्रचलन में भी खासी तेजी देखने को मिली है। इसका उद्देश्य देश में कालेधन पर लगाम लगाना, जाली नोटों को खत्म करना और डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देना था। नोटबंदी के बाद देश की डिजिटल इकोनॉमी में बड़ा उछाल आया है। कालेधन और जाली नोटों की संख्या पर कुछ हद तक अंकुश लगा है, हालांकि कालेधन और जाली नोटों की समस्या अभी भी बनी हुई है।
पब्लिक डोमेन में मौजूद करेंसी में हुआ इजाफा
इस दौरान डिजिटल और यूपीआई के माध्यम से भुगतान का नया चलन भी देश में शुरू हो गया। काेरोना काल के दौरान इसमें और बढ़ोतरी आई और वर्तमान में डिजिटल पेंमेंट लगभग-लगभग करेंसी नोटों की तरह ही सामान्य हो चुका है। नोटबंदी के बाद देश में पब्लिक डाेमेन में नकद के रूप में मौजूद करेंसी में भी बड़ा इजाफा देखने को मिला है। भारतीय रिजर्व बैंक के 21 अक्तूबर 2022 तक के आंकड़ों के अनुसार बीते छह वर्षों में देश में जनता के पास मौजूद करेंसी बढ़कर 30.88 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि विमुद्रीकरण के छह साल बाद और डिजिटल लेनदेन बढ़ने के बावजूद लोग अब भी नकदी का उपयोग बड़े पैमाने पर कर रहे हैं।
देश में करेंसी नोटों का चलन 72 फीसदी बढ़ा
फिलहाल देश में करेंसी नोटों के कैश सर्कुलेशन में करीब 72 फीसदी का इजाफा हो चुका है। जनता के पास मौजूद 30.88 लाख करोड़ रुपये की करेंसी का आंकड़ा 4 नवंबर 2016 को समाप्त पखवाड़े के दौरान मौजूद करेंसी के स्तर से 71.84 प्रतिशत अधिक है। चार नवंबर 2016 को देश के पब्लिक डोमेन में 17.7 लाख करोड़ रुपये की करेंसी मौजूद थी। जनता के पास मौजूद मुद्रा से तात्पर्य उन नोटों और सिक्कों से है जिनका उपयोग लोग लेन-देन करने, व्यापार निपटाने और सामान और सेवाओं की खरीदारी के लिए करते हैं।
कैश का अब भी दबदबा
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार भुगतान के नए और सुविधाजनक डिजिटल विकल्पों के लोकप्रिय होने के बावजूद अर्थव्यवस्था में नकदी का उपयोग लगातार बढ़ रहा है। हालांकि, पहले नोटबंदी और फिर कोरोना महामारी के दौरान लोग बड़े पैमाने पर नोटबंदी का उपयोग करने लगे हैं।
read more : सुप्रीम कोर्ट ने तीनों दोषियों को किया बरी, दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को पलटा
[…] […]