Thursday, November 21, 2024
Homeउत्तर प्रदेशमायावती का किसी भी पार्टी से गठबंधन ज्यादा दिन क्यों नहीं चला,...

मायावती का किसी भी पार्टी से गठबंधन ज्यादा दिन क्यों नहीं चला, जानिए

डिजिटल डेस्क : बसपा सुप्रीमो मायावती का क्षेत्रीय या राष्ट्रीय दलों के साथ गठबंधन को लेकर अनुभव कड़वा रहा है. यही वजह रही कि किसी भी पार्टी के साथ उनका गठबंधन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका। उनका हमेशा से आरोप रहा है कि उनका वोट बैंक दूसरी पार्टियों को ट्रांसफर हो जाता है, लेकिन उन्हें दूसरों का वोट नहीं मिलता.

कांशीराम ने शोषित, पिछड़े और दलितों का हक दिलाने का वादा कर यूपी की राजनीति में कदम रखा। बसपा ने पहले यूपी में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया, लेकिन यह गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चला। इसके बाद मायावती ने कांग्रेस के साथ मिलकर 1996 का विधानसभा चुनाव लड़ा। हो सकता है कि उसे सीटों में ज्यादा फायदा न हुआ हो, लेकिन वोट शेयर में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। वर्ष 1991 में बसपा का मतदान प्रतिशत 10.26 प्रतिशत था जो 1996 में बढ़कर 27.73 हो गया। यह अलग बात है कि यह गठबंधन वर्ष 1997 में एक साल बाद ही टूट गया।

मायावती ने भले ही राजनीतिक मजबूरियों के चलते कांग्रेस से गठबंधन किया हो, लेकिन इतिहास देखा जाए तो बसपा की पूरी राजनीति उनके खिलाफ रही है. इसलिए चाहे राजस्थान हो या मध्य प्रदेश, बसपा को कांग्रेस का समर्थन पसंद नहीं आया. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि मायावती राहुल गांधी के प्रस्ताव को मान भी लें तो नतीजा क्या होगा.

Read More : उद्धव ठाकरे ने भाजापा पर कसा तंज, कहा -अगर राम पैदा नहीं होते तो भाजपा राजनीति में कौन सा मुद्दा उठाती:

बसपा का गठबंधन

बसपा सुप्रीमो ने जब भी किसी से गठबंधन किया तो उसे तोड़ने में देर नहीं लगी. लोकसभा चुनाव वर्ष 2019 में मायावती ने गेस्ट हाउस की घटना को भूलकर भले ही सपा से गठबंधन कर लिया हो, लेकिन नतीजे आते ही उन्होंने सपा पर वोट ट्रांसफर नहीं कर पाने का आरोप लगाते हुए नाता तोड़ लिया. हकीकत देखी जाए तो 2014 के मुकाबले सपा खुद पांच सीटों पर सिमट गई और बसपा शून्य से दस सांसदों तक पहुंच गई।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments