Sunday, July 13, 2025
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कर्नाटक सरकार किताबों से हटाएगी टीपू सुल्तान की ‘टाइगर ऑफ मैसूर’ की उपाधि

 डिजिटल डेस्क : टीपू सुल्तान को लेकर बहस कोई नई नहीं है। टीपू सुल्तान के महिमामंडन पर भाजपा और दक्षिणपंथी संगठनों को आपत्ति है। टीपू सुल्तान की जयंती मनाने को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच तकरार देखने को मिली है. कोई टीपू को देशभक्त तो कोई सांप्रदायिक शासक बताता है। बीजेपी और बजरंग दल टीपू के विरोध में नजर आ रहे हैं क्योंकि उनका कहना है कि उन्होंने मराठों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. अब जब टीपू को कर्नाटक के पाठ्यक्रम से हटाने की बात हुई तो शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई विचार नहीं है।

उन्होंने कहा कि जिन किताबों में काल्पनिक बातें लिखी गई हैं, उनमें से सिर्फ वही हिस्सा हटा दिया जाएगा। यह बयान एक दिन पहले आया है जब पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति की रिपोर्ट में पाठ्यक्रम में बदलाव और खासकर टीपू के विषय में बदलाव की बात कही गई है।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि जिन बातों के ऐतिहासिक प्रमाण हों, वे बच्चों को बताई जाएं। टीपू सुल्तान के विषय को पाठ्यक्रम से नहीं हटाया जाएगा।

बीजेपी और बजरंग दल टीपू के विरोध में नजर आ

उन्होंने कहा कि जिस नाम से टीपू सुल्तान को पुकारा जाता है, उसे किताबों से हटा दिया जाएगा। हम चाहते हैं कि बच्चे असली इतिहास जानें। यदि इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि टीपू सुल्तान ‘मैसूर का शेर’ था, तो उसकी उपाधि बच जाएगी। महिमामंडन करने वाला हिस्सा हटा दिया जाएगा।

आपको बता दें कि टीपू को लेकर विवाद यह है कि एक धड़े का कहना है कि टीपू ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और देश की आजादी में योगदान दिया। दूसरी ओर, दक्षिणपंथी संगठनों का कहना है कि वह एक सांप्रदायिक शासक था और उसने कई हिंदुओं को मार डाला।

सरकार के आदेश के बाद रोहित चक्रतीर्थ की अध्यक्षता वाली कमेटी ने रिपोर्ट सौंप दी है. अधिकारियों के अनुसार समिति ने कहा है कि टीपू सुल्तान का विषय बना रहना चाहिए, जबकि जहां शासक का महिमामंडन किया गया है, उसे छोड़ देना चाहिए।

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इस समिति को सरकार द्वारा कक्षा 6 से 10 तक के सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम की समीक्षा का कार्य सौंपा गया था। चक्रतीर्थ को दक्षिणपंथी विचारक के रूप में जाना जाता है। कांग्रेस का आरोप है कि उन्हें समिति का प्रमुख बनाना भाजपा द्वारा इसका भगवाकरण करने का एक प्रयास है।

बता दें कि सिद्धारमैया सरकार ने साल 2015 में टीपू सुल्तान की जयंती मनानी शुरू की थी लेकिन बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद इसे रोक दिया गया था. कोरोना काल में जब सिलेबस कम किया गया तो टीपू सुल्तान का पाठ कक्षा 7 की किताब से हटा दिया गया। हालांकि कक्षा 6 और 10 में अभी भी यह पाठ शामिल है।

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