Tuesday, July 1, 2025
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5 दिन बाद आएगी खतरनाक ‘दोपहर’! धरती की ओर आ रहा बड़ा …

नई दिल्ली : 22 फरवरी 2022 की दोपहर करीब 1.24 बजे धरती से करीब 53.66 लाख किलोमीटर दूर से एक बड़ा एस्टेरॉयड निकलने वाला है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इसे संभावित खतरनाक एस्टेरॉयड की श्रेणी में रखा है। इसके आकार की गणना अभी सटीक नहीं है लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार यह 623 फीट से लेकर 1410 फीट तक लंबा हो सकता है। हालांकि 2019 में की गई एक गणना के अनुसार यह 738 फीट का है।

अंतरिक्ष से आ रहे इस मेहमान का नाम है Asteroid (455176) 1999 VF22 । अगले हफ्ते मंगलवार यानी 22 फरवरी की दोपहर यह धरती से जिस दूरी से निकल रहा है, वह धरती और चांद की दूरी से 14 गुना ज्यादा है। हालांकि यह दूरी अंतरिक्ष की दुनिया में ज्यादा नहीं मानी जाती। यह धरती के बगल से 25.10 किलोमीटर प्रति सेकेंड की दर से निकलेगा। यानी 90,360 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति।

Asteroid (455176) 1999 VF22 धरती के सबसे नजदीक अब करीब एक सदी के बाद आएगा। यानी 2150 में 23 फरवरी को। लेकिन कितनी दूरी होगी इसका अंदाजा अभी लगाना मुश्किल है। इस एस्टेरॉयड की खोज साल 1999 में 31 अक्टूबर की तारीख में दर्ज है लेकिन यह 10 नवंबर 1999 तक तरीके से दिखाई नहीं दिया था। इसे खोजा था कैटालिना स्काई सर्वे ने।

Asteroid (455176) 1999 VF22 आकार में इतना बड़ा है कि अगर यह धरती पर कहीं गिरता है तो भारी तबाही मचा सकता है। जमीन पर एटम बम जितना और समुद्र में बड़ी सुनामी जितना। वैसे तो इसके धरती से टकराने की आशंका नहीं है लेकिन अगर यह टकराता है तो हिरोशिमा-नागासाकी पर गिरे परमाणु बम से ज्यादा तबाही मचाएगा।

किसी अंतरिक्षीय वस्तु के करीब आने से वैज्ञानिकों को उसकी स्टडी करने का मौका मिलता है। यह एक पथरीला एस टाइप एस्टेरॉयड है, जो अपोलो एस्टेरॉयड समूह से नाता रखता है। अपोलो एस्टेरॉयड समूह सबसे सामान्य क्षुद्रग्रहों का समूह है। Asteroid (455176) 1999 VF22 आसमान में तेजी से चलते समय भी किसी तारे की तरह ही दिखाई देगा। बस इसकी पोजिशन लगातार बदलती रहेगी।

इस आकार के एस्टेरॉयड की धरती से टकराने की संभावना 6 लाख साल में एक बार होती है। किस्मत की बात ये है कि नासा ने हाल ही में DART मिशन लॉन्च किया है। इसमें एक स्पेसक्राफ्ट को एस्टेरॉयड से टकराकर उसकी दिशा और गति बदलने का प्रयास किया जाएगा। अगर यह मिशन सफल होता है तो भविष्य में धरती को एस्टेरॉयड के हमलों से बचाया जा सकेगा।

धरती पर आखिरी बार जो एस्टेरॉयड गिरा था, उसने रूस में काफी तबाही मचाई थी। ये बात है साल 2013 की। यह एस्टेरॉयड 17 मीटर का था। वह रूस के ऊपर आकर वायुमंडल में फट गया था। जिससे एक शहर की सारी इमारतों की खिड़कियां टूट गई थीं। कई लोग घायल हुए थे।

इसके पहले जिस एस्टेरॉयड ने रूस में साल 1908 में तबाही मचाई थी। वह पोद्कामेनया तुंगसुका नदी में गिरा था। जहां एक बड़ा गड्ढा बन गया। इसे तुंगसुका इवेंट कहते हैं। तुंगसुका इवेंट में तीन लोगों के मारे जाने की खबर थी क्योंकि उस इलाके में ज्यादा लोग रहते नहीं थे। लेकिन उसकी तबाही के सबूत आज भी दिखते हैं। तुंगसुका इवेंट में 8 करोड़ पेड़-पौधे पूरी तरह से साफ हो गए थे। हजारों किलोमीटर दूर तक आवाज सुनाई दी थी। रूस में हुई इस घटना से आए भूकंप की लहर को वॉशिंगटन और इंडोनेशिया तक महसूस किया गया था।

वैज्ञानिकों की माने तो तुंगसुका इवेंट के समय आसमान दो रंगों में बदल गया था। उत्तरी गोलार्ध का आसमान आग के शोलों जैसा चमक रहा था। ऐसा लग रहा था कि आसमान से धरती की ओर कोई तोप के गोले दाग रहा है। तुंगसुका इवेंट आधुनिक इतिहास की सबसे बड़ी आसमानी आफत वाली घटना मानी जाती है।

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नासा के मुताबिक अगर कोई एस्टेरॉयड 140 मीटर से ज्यादा व्यास या लंबाई का होता है तो वह तुंगसुका इवेंट जितनी तबाही मचाने की हैसियत रखता है। Asteroid (455176) 1999 VF22 तो 623 फीट से लेकर 1410 फीट लंबा है। अगर यह गिरा तो भयावह सुनामी-भूकंप आने की आशंका बनेगी। जमीन पर गिरा तो और बड़ी तबाही होगी।

 

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