एस्ट्रो डेस्क : जॉय जॉय रघुबीर समर्थ… हर दिन पूरा गांव इस आवाज को सुन सकता था। विश्व में स्वामी समर्थ रामदास के नाम से प्रसिद्ध तपस्वी महात्मा नियमित रूप से भीख मांगने उनके गांव जाया करते थे। वे जिस घर में खड़े होते थे, उसी घर से उन्हें भिक्षा मिलती थी। रघुबीर ने हमेशा जीत की घोषणा की।
एक दिन वह भीख मांगने के लिए एक घर के सामने खड़ा हुआ और उसने वही घोषणा की। इस दौरान घर में पति-पत्नी के बीच कहासुनी हो गई। उस घर की रखैल घर की व्यवस्था से नाराज हो गई। उसी क्रोध में स्वामी समर्थ ने रामदास से कहा, क्या तुम रोज आकर भिखारी की तरह खड़े हो जाते हो? मेहनत करके पैसे कमाए। मैं तुम्हारे भिखारी से बहुत परेशान हूँ। बिना मेहनत के मिल जाता है, खाते रहो।हंसने के काबिल रामदास जी ने कहा- मां हम किसी का घर खाली हाथ नहीं छोड़ते, हमें कुछ दे दो।
महिला कपड़े से अपना किचन पोंछ रही थी। तो उसने फर्श पर पड़े गंदे और गीले कपड़े को उठाया और रामदासजी को यह कहते हुए मारा, “ले लो, यहाँ से निकल जाओ, फिर कभी मत आना।” मुझे इस भिखारी का चेहरा मत दिखाओ।रामदासजी चले गए। उसने वही गंदे कपड़े अपने बैग में रख लिए। वे एक मंदिर पहुंचे। उसने अपने कपड़े उतारे और अच्छे से धोए। फिर धोकर उसी कपड़े से दीपक बनाकर पूरे मंदिर में दीपक जलाएं। मंदिर रोशन है।
जब रामदासजी ने गंदे कपड़े धोए तो महिला का मन भी धुल गया। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।आज मैंने साधु का अपमान किया है। वह मंदिर आया और माफी मांगी।
उन्होंने रामदास जी की टांग पकड़कर क्षमा मांगी। तब रामदास जी ने कहा, क्षमा कैसी होती है, हमारे भक्त जो करते हैं, भगवान ही करते हैं। आज तुमने जो वस्त्र दिए हैं, उन्हें देखो, सारा मंदिर जगमगा उठा है। तब महिला को साधु की दृष्टि समझ में आई।
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पाठ: दु:ख एक मनोवृत्ति है। जो नकारात्मकता के खिलाफ है। जीवन में कभी भी शामिल न हों, चाहे हमें कितना भी सम्मान या अपमान मिले। भ्रमित होंगे तो क्रोधित होंगे। क्रोध हमारे लक्ष्य से तितर-बितर हो जाएगा। सबसे अच्छा तरीका यह सोचना है कि हमें क्या मिलता है, क्या ठीक से उपयोग किया जा सकता है। यह आपके जीवन में सकारात्मकता लाएगा।