डिजिटल डेस्क : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बूथ स्तर पर खुद को मजबूत करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। इसे देखते हुए बीजेपी ने अपने तीन लाख बूथ कार्यकर्ताओं को दिवाली का तोहफा भेजा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बूथ प्रबंधन पर जोर दिया और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के घरों में खाना खाकर पारिवारिक माहौल बनाने की कोशिश की. अमित शाह राज्य के हर क्षेत्र में बूथ स्तरीय सम्मेलनों को भी संबोधित कर चुके हैं.
इसके बाद टीम ने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को दिवाली का तोहफा भेजा है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शुक्रवार को लखनऊ आ रहे हैं और उनकी बैठक की भी व्यवस्था की गई है. राज्य में एक लाख 63 हजार बूथ हैं और भाजपा ने 1.5 लाख से अधिक बूथों पर 20-20 सदस्यों की कमेटी बनाई है. राज्य में बीजेपी के बूथ स्तर के 30 लाख से ज्यादा कार्यकर्ता हैं. टीम ने बूथ कमेटी के सभी सदस्यों को उपहार भेजे। उपहार के पैकेट में एक तोरण द्वार और एक कमल का दीपक शामिल है। कमल का दीपक भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल के आकार का एक मिट्टी का दीपक है।
भाजपा की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष और विधानसभा सदस्य विजय बहादुर पाठक ने गुरुवार को कहा कि हम सब मिलकर काम करते हैं और बूथ कार्यकर्ता भाजपा परिवार की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं. दिवाली पर उपहार देना एक परंपरा थी, इसलिए पार्टी ने 30 लाख से अधिक बूथ कार्यकर्ताओं को दिवाली उपहार भेजे।
जब पाठक से पूछा गया कि क्या चुनाव प्रचार भी उपहारों के माध्यम से किया जा रहा है, तो उन्होंने कहा, “पार्टी का पूरा ध्यान 2022 के विधानसभा चुनावों की ओर है और लोगों के बीच चुनाव चिन्ह ले जाना एक सामान्य प्रक्रिया है।” पद्म प्रदीप को जलाने से न केवल अंधेरा दूर होगा, बल्कि यह विश्वास भी मजबूत होगा कि मोदी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) और योगी (मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) सरकारों द्वारा शुरू की गई विकास परियोजनाओं की श्रृंखला। इसे आगे बढ़ाया जाएगा और इन्हें जल्द पूरा किया जाएगा।
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2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार के खिलाफ परिवर्तन का अभियान चलाया और राज्य के चारों तरफ से परिवर्तन की यात्रा शुरू कर अपने संकल्प को दोहराया। उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा और उसके सहयोगियों ने 325 सीटें जीती हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस जीत के पीछे बीजेपी की बूथ प्रबंधन रणनीति सबसे कारगर है.