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कोरोनावायरस के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस के मद्देनज़र संकट बढ़ता जा रहा है। माहमारी की दूसरी लेहर अब काफी हद तक नियंत्रण में है मगर डेल्टा प्लस वेरिएंट ने एक बार फिर सरकार की चिंता बढ़ा दी है।
भारत में अब तक इस डेल्टा प्लस वैरिएंट के 40 मामले सामने आ चुके हैं। सबसे अधिक यानि 21 केस महाराष्ट्र में सामने आए हैं। वहीँ इस वेरिएंट के सर्वाधिक मामलों की सूचि में दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है जहाँ इसके 7 मामले सामने आए हैं और 2 लोगों ने अपनी जान गवाई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आज सार्स कोविड-2 जीनोमिक कंसोर्टिया की वीकली रिव्यू मीटिंग में भी डेल्टा प्लस वैरिएंट की स्थिति को लेकर विचार-विमर्श किया जाएगा। इस कंसोर्टिया में 10 नेशनल लैब शामिल हैं।
भारत में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मद्देनज़र 3 राज्यों में चेतावनी जारी
विशेषयागो के अनुसार डेल्टा प्लस वैरिएंट देश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की वजह बन सकता है। इस खतरे को देखते हुए सरकार ने 2 दिन पूर्व महाराष्ट्र (जहाँ सबसे अधिक मामले आए है ), मध्य प्रदेश और केरल को हालातों के लिए तैयार रहने के निर्देश भी दिए हैं। पुरे देश में अगर देखे तो अब तक डेल्टा प्लस वैरिएंट के 40 केस सामने आए हैं।
डेल्टा-प्लस वैरिएंट आखिर क्या है?
देश में मिले कोरोनावायरस के डबल म्यूटेंट स्ट्रेन B.1.617.2 को ही WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन ) ने डेल्टा नाम दिया है। B.1.617.2 में एक और म्यूटेशन K417N हुआ है, जो इससे पहले कोरोना संक्रमण के बीटा और गामा वैरिएंट्स में भी पाया गया था। नए म्यूटेशन के होने के बाद बने वैरिएंट को डेल्टा+ वैरिएंट या AY.1 या B.1.617.2.1 का नाम दिया गया है।
दूसरी लहर का कारण था डेल्टा वैरिएंट
देश ने डेल्टा वैरिएंट के कारण ही कोरोना संक्रमण की दूसरी लेहर में भयानक मंज़र को देखा है।इस समय तो मामले कम हो रहे हैं, पर उन्हें फरवरी के स्तर तक पहुंचने में जुलाई का दूसरा हफ्ता भी लग सकता है। गौरतलब है की ,ये वैरिएंट उस स्ट्रेन से काफी भिन्न है ,जिसके विरुद्ध वैक्सीन बनाने वाली कंपनी फार्मा ने मौजूदा वैक्सीन बनाई है।
दक्षिण अफ्रीका , UK और ब्राजील में हुए शोध के अनुसार ये वैक्सीन असरदार तो है, मगर डेल्टा जैसे वैरिएंट्स के विरुद्ध जांच में वह कुछ ही एंटीबॉडी बनाने में सफल रहे हैं। डेल्टा वैरिएंट के कई नए रूप सामने आ चुके हैं। भारत समेत कई देशों में यह प्रमुख वैरिएंट बनकर सामने आया है।इतना ही नहीं बल्कि ये आगे चलकर देश में यह महामारी के प्रबंधन में चुनौती बन सकता है।
नए वैरिएंट्स के खिलाफ टिका कितना असरदार?
भारत में ICMR-NIV और CSIR-CCMB ने एक स्टडी की है। इसमें डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ कोवीशील्ड और कोवैक्सिन का असर देखने का प्रयास किया गया है। रिजल्ट्स के अनुसार ये वैरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी तो बन रही है, पर वह ओरिजिनल कोरोनावायरस के मुकाबले बन रही एंटीबॉडी के मुकाबले कम है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार एंटीबॉडी लेवल कभी भी इम्यूनिटी का इकलौता मार्कर नहीं होता। डेल्टा-प्लस वैरिएंट से वायरस काफी तीव्र गति से फैल रहा है, इसके भी बहुत कम सबूत हैं। इस वजह से WHO ने फिलहाल वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न (VOC) लिस्ट में इसे नहीं रखा है।
Written By : Sheetal Srivastava
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