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MP Me Garibon Ko Mil Raha Muft Rashan ? Kendra Sarkar Kar Rahi Desh Ke 80 Karod Garibon Ko Muft Rashan Dene Ka Daawa, Jaaniye Kya Hai Sachchai

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भारत सरकार द्वारा दावा किया जा रहा है कि देश के 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन बांटा जा रहा है लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही नजर आ रही है क्योंकि गरीबों को तो अब भी दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो पा रही है क्योंकि दिल्ली से मिलने वाला मुफ्त राशन उन तक पहुंच ही नहीं रहा है।

देश में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत हर महीने गरीबों को 5 किलो गेहूं या चावल मुफ्त राशन बांटा जा रहा है जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को 5 और महीने के लिए बढ़ा दिया गया है साथ ही इस योजना के तहत लाभ पाने वाले लोगों की संख्या 80 करोड़ से बढ़कर 81.35 करोड भी बताई जा रही है।

लेकिन जब केंद्र सरकार के इस महत्वाकांक्षी योजना की जांच पड़ताल की गई तो सच्चाई कुछ और ही निकली जिसमें सबसे पहली खबर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की है जहां मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा कहा जा रहा है कि राज्य के 7.33 करोड़ लोगों में से 5.46 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिल रहा है।

इसमें करीब गांव के 4.20 करोड़ और शहरों के 1.25 करोड़ लोग शामिल हैं साथ ही अंत्योदय योजना में करीब 5000000 और प्रायोरिटी हाउसहोल्ड केटेगरी के तहत 4.96 करोड़ लोगों को इसमें शामिल किया गया है।

यहां तक तो बात आंकड़ों की हो गई लेकिन अब बात जमीनी स्तर की करते हैं मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल ऐसा इलाका है जहां पर सरकार का सचिवालय वल्लभ भवन स्थित है और यहीं से करीब 3 किलोमीटर पर एक बस्ती है जिसका नाम अन्नानगर है बल्लभ की दूरी मात्र 10 से 15 मिनट की होगी लेकिन यहां के हालात कुछ और ही है।

आखिर क्या है अन्ना नगर बस्ती के हालात?

अन्ना नगर नाम की या बस्ती दिल के करीब ली है जहां पर रहने वाले लोगों से जब यह सवाल किया गया कि सरकार द्वारा मुफ्त राशन मिल रहा है या नहीं तो उस पर लोगों का कहना था कि राशन पिछले साल तो मिला लेकिन इस साल नहीं।
यही नहीं कई और भी दिखते हैं जिनका लोग सामना कर रहे हैं कई लोगों का कहना था कि उन्हें करीब 1 साल से कोई भी राशन नहीं मिला है जिस पर उन्होंने बताया कि जब वह पत्नी के नाम का राशन कार्ड लेकर जाते हैं तो उन्हें यह कहकर लौटा दिया जाता है कि कार्ड बंद है और जब कार्ड को सही कराने के लिए कलेक्ट्रेट ऑफिस जाओ तो वहां से भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती।

बस्ती के लोगों द्वारा एक और समस्या बताई गई जिसमें उन्होंने कहा कि उनके पास कार्ड ही नहीं है इसलिए राशन नहीं मिलता और जब उनसे कार्ड ना होने का कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वह लोग कार्ड बनाते ही नहीं है कहीं कहते हैं कागज कम है तो कहीं कुछ और जब हम अपना आधार कार्ड या परिचय पत्र दिखाते हैं तो कह देते हैं कि उस पर कार्ड नहीं बन रहा।

कार्ड बनवाने के लिए मांगी जा रही हजारों की रिश्वत

गांव के लोगों का कहना है कि जिनके पास कार्ड नहीं है और फिर जब कार्ड बनवाने जाओ तो वहां के बाबू कर्मचारी 5 से ₹7000 तक की रिश्वत मांगते हैं और अगर कंट्रोल ऑफिस में जाओ तो वहां भी अधिकारी रिश्वत की ही मांग करते हैं जिस पर वह गांव वालों का कहना था कि इतने रुपए हम कहां से लाएं लोग दिहाड़ी मजदूरी करके अपनी जिंदगी चला रहे हैं ऐसे में अधिकारियों कर्मचारियों की रिश्वत की मांग को वह कैसे पूरा करें हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी वैक्सीन को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए यहां शिरकत की थी।

पेंशन मिलने वालों को नहीं मिलेगा राशन

भोपाल में कंट्रोल की दुकान चलाने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि जिनके पास बीपीएल कार्ड नहीं है उन्हें अस्थाई प्रमाण पत्र बनवाना होता है और फिर नगर निगम में जाकर उन्हें एक फॉर्म मिलता है जिसे भरकर के कलेक्टर ऑफिस जाना होता है और कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद एक अस्थाई प्रमाण पत्र जारी हो जाता है जिसको मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए चलाकर व्यक्ति को राशन बांटा जाता है।

साथ ही व्यक्ति ने यह भी बताया कि 7 साल से ज्यादा के लोगों को जिन्हें राज्य केंद्र सरकार की तरफ से किसी भी तरह की पेंशन मिल रही है उन्हें राशन देने से मना किया गया है साथ ही राशन कार्ड पर जिनके एक से अधिक पते नामांकित हैं उन्हें सिर्फ एक ही जगह से राशन दिया जा रहा है।

एक दिक्कत यहां भी सामने आ रही है कि कई बुजुर्गों के फिंगरप्रिंट सही से नहीं आ पाते जिस वजह से उन्हें राशन देने में दिक्कत होती है साथ ही शासन ने नॉमनी नियुक्त करने की भी प्रक्रिया तय की है जो कि कई बुजुर्ग पूरी नहीं कर पाते और फिर उनका राशन कार्ड चालू नहीं हो पाता है।

अपात्रों की वजह से पात्र हो रहे योजना से वंचित

मध्य प्रदेश के एक रिटायर्ड आईएएस ऑफीसर कहना था कि बीपीएल लिस्ट में कई ऐसे लोग जुड़े हैं जो किसके लिए अपात्र हैं और इस कारण ही उन लोगों को मुफ्त राशन नहीं मिल पा रहा जो इस योजना के पात्र हैं।

मध्यप्रदेश में 2011 में बीपीएल का आखिरी सर्वे हुआ था जिसके बाद केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश के लिए 27% का बीपीएल कोटा तय किया लेकिन जब यहां सर्वे हुआ तब बीपीएल की संख्या 40% के करीब पहुंच गई और इस संख्या के पूरे होने के बाद लिस्ट में और नाम बढ़ाएं नहीं जा सकते इसलिए जब लिस्ट से उन लोगों के नाम हटेंगे जो इसके लिए पात्र नहीं है तब ही इस योजना के लिए पात्र लोगों के नाम जुड़ सकेंगे।

आईएएस ऑफिसर का कहना था कि जिन लोगों को पीएम आवास योजना में पक्के मकान मिल गया उन्हें बीपीएल की लिस्ट से हटा देना चाहिए लेकिन राजनीतिक पार्टियां ऐसा नहीं कर सकती क्योंकि इससे उनके वोट बैंक को खतरा है ऑफिसर ने बताया कि सरकार ने 80 करोड जरूरतमंदों को मुफ्त राशन बांटने की योजना तो जरूर शुरू की है लेकिन पूरी प्रक्रिया को काफी जटिल कर दिया है और अगर सरकार सभी को फायदा पहुंचाना चाहती है तो फिर 80 करोड़ लोगों का राशन कार्ड बनाने में क्या दिक्कत है साथ ही इन लोगों को सिर्फ राशन कार्ड बनने पर पीडीएस प्रणाली के तहत ही राशन वितरित किया जा सकता है।

सरकार द्वारा लागू इस योजना में समस्या यही है कि सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद भी कई पात्र लोग कागजी उलझन और प्रक्रियाओं के चलते इस में फस गए हैं जिससे पात्र लोगों को नहीं बल्कि अपात्रों को इसकी सुविधा मिल रही है।

सरकार द्वारा राशन पर कितना खर्च किया जा रहा है?

सरकार द्वारा टीडीपीएस के तहत 5 महीने के लिए करीब 81.35 करोड़ लोगों को प्रतिमाह 5 किलो गेहूं या चावल मुफ्त बांटने के लिए सरकार इस पर 64031 करोड रुपए सब्सिडी में खर्च कर रही है साथ ही केंद्र इस योजना के तहत राज्यों से किसी भी तरह की वित्तीय मदद दी नहीं ले रही और पूरा खर्च खुद केंद्र सरकार ही उठा रही है जिसमें भारत सरकार द्वारा इस योजना के तहत किया जाने वाला कुल खर्च 67266 करोड रुपए होगा।

अंत्योदय अन्न योजना में शामिल लोगों के लिए तय किया गया क्राइटेरिया।

* इस योजना का लाभ घर परिवार और बिना आश्रय के परिवार को मिलेगा।

* ऐसे लोग जो जीवित रहने के लिए भिक्षा पर निर्भर है।

* बंधुआ मजदूरों को भी मिलेगा योजना का लाभ।

* एक कमरे में रहने वाले परिवार जिनके कमरे की दीवार या छत कच्ची हो।

* किसी नाबालिक पर आश्रित परिवार।

* ऐसे परिवार जिनमें 15 से 59 साल के बीच कोई भी वयस्क सदस्य नहीं है और हर साल से ज्यादा के लोगों पर घर आश्रित है और उनके निर्वाह का कोई जरिया नहीं है।

* विकलांग सदस्य पर आश्रित परिवार जिनके निर्वाह के लिए कोई वयस्क नहीं है।

* ऐसे परिवार जो भूमिहीन है और मजदूरी से जीवन यापन करते हैं।

* एकल महिला या विधवा पर आश्रित परिवार।

* ऐसा परिवार जहां 25 वर्ष से अधिक का कोई भी व्यक्ति साक्षर नहीं है।

शहरी क्षेत्र के लिए भी तय किए गए मापदंड।

* जो लोग बेघर हैं या फिर जो सड़क किनारे फ्लाईओवर फुटपाथ मंदिर और रेलवे प्लेटफार्म और किसी भी सीढ़ियों के आसपास रहने के लिए मजबूर हैं।

* जो लोग घर की छत या दीवारें प्लास्टिक की पन्नी से बनाकर रह रहे हैं।

* जो परिवार एक कमरे में गुजारा कर रहा है या जिनके घर की दीवारें घास छप्पर या बांस से बनी हुई है।

* जिस परिवार में आय का कोई भी स्रोत नहीं है।

* ऐसे लोग जो इधर-उधर घरेलू काम करके या मजदूरी करके अपना जीवन बिता रहे हैं।

* दिहाड़ी करके घर चलाने वाले लोग जिनकी कोई भी निश्चित आय नहीं है।

* ऐसे घर जो नाबालिगों पर आश्रित हैं और उनमें कमाई करने वाला कोई वयस्क नहीं है।

* ऐसे परिवार जो विकलांग सदस्य पर आश्रित हैं।

* किसी विधवा या एकल महिला पर आश्रित परिवारों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा।

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