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विवाद बढ़ा , बीबीसी डॉक्यूमेंट्री में पीएम मोदी की भूमिका पर सवाल ?

गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। कोलकाता में वाम दलों के छात्र संगठन एसएफआई ने प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय में इसकी स्क्रीनिंग का ऐलान किया है। गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाती बीबीसी डॉक्यूमेंट्री शुरू से ही विवादों में रही है।

डीयू यूनिवर्सिटी में भी कुछ छात्र संगठन ने स्क्रीनिंग का ऐलान किया है। इसे लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रॉक्टर रजनी अब्बी ने पहले ही दिल्ली पुलिस को खत लिखकर उचित कार्रवाई की बात कही है। बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के रिलीज होने के बाद केंद्र सरकार और बीजेपी ने इसे पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रोपेगेंडा करार दिया था।

विपक्षी दल इस डॉक्यूमेंट्री के जरिये बीजेपी और पीएम मोदी पर हमलावर हो गए थे। आइए जानते हैं कि बीबीसी डॉक्यूमेंट्री मामले में अब तक क्या हुआ है ?

कब सामने आई बीबीसी डॉक्यूमेंट्री ?

गुजरात दंगों में पीएम नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल खड़े करने वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ दो एपिसोड में सबके सामने आई। इसका पहला एपिसोड 17 जनवरी को और दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को यूट्यूब पर रिलीज किया गया। पहला एपिसोड आने के साथ ही भारत में विपक्ष के नेताओं और कुछ संगठनों ने इसे हाथोंहाथ लिया। बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के जरिये पीएम मोदी और बीजेपी पर निशाना साधना शुरू कर दिया गया।

केंद्र सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री पर लगाया बैन

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का दूसरा एपिसोड रिलीज होने से पहले ही केंद्र की मोदी सरकार ने 21 जनवरी को इस पर प्रतिबंध लगा दिया। केंद्र सरकार की ओर से जारी आदेश के बाद यूट्यूब और ट्विटर से बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के लिंक हटा दिए गए थे। हालांकि, भारत से बाहर यूट्यूब और ट्विटर पर ये डॉक्यूमेंट्री अभी भी मौजूद है। इसका दूसरा एपिसोड भी रिलीज किया जा चुका है। केंद्र सरकार ने इसे दुष्प्रचार का हिस्सा बताया था।

शुरू हुआ डॉक्यूमेंट्री पर बवाल

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री रिलीज होने के बाद से ही सुर्खियों में बनी हुई थी। हालांकि, इस पर बवाल की शुरुआत केंद्र सरकार की ओर से यूट्यूब और ट्विटर पर डॉक्यूमेंट्री को बैन करने के बाद शुरू हुआ। केंद्र सरकार के बैन लगाने के बाद जेएनयू में इसकी स्क्रीनिंग रखी गई। आरोप लगाया गया कि स्क्रीनिंग रोकने के लिए एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने पत्थरबाजी और मारपीट की।

ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक ने कर दी बोलती बंद

भारत के खिलाफ जगर उगलने के लिए मशहूर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर भारत सरकार के विरोध जताने से पहले ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने ब्रिटिश संसद में सबकी बोलती बंद कर दी। ऋषि सुनक ने ब्रिटेन की संसद में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर बोलते हुए कहा कि ‘बेशक, हम कहीं भी उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करते हैं। लेकिन माननीय सज्जन को जिस तरह से दिखाया गया है। मैं उससे बिल्कुल सहमत नहीं हूं।

विपक्षी नेताओं ने बैन पर जताया गुस्सा

कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर बैन के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सच कभी नहीं छिपता है। सत्य सत्य होता है , ये बाहर आ ही जाता है। वहीं, टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने ट्विटर पर बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का लिंक शेयर करते हुए लिखा कि हमें क्या देखना है, यह हम तय करेंगे। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने आरोप लगाया कि बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर ट्वीट को ट्विटर ने डिलीट कर दिया है।

पंजाब यूनिवर्सिटी में स्क्रीनिंग पर बवाल

पंजाब यूनिवर्सिटी में भी एनएसयूआई ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की थी। जिसे लेकर काफी बवाल हुआ , अलग-अलग वामपंथी संगठनों के सदस्यों ने एबीवीपी के खिलाफ 26 जनवरी को जेएनयू परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। वामपंथी छात्रों ने दावा किया कि विवादित डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन के दौरान उन पर पत्थर फेंके गए। मार्च निकाल कर एबीवीपी के खिलाफ नारे लगाए गए।

स्क्रीनिंग को लेकर जामिया में बवाल

जेएनयू के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में 25 जनवरी की शाम को एनएसयूआई और एसएफआई ने बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंटी को दिखाने की तैयारियां चल रही थीं। इससे पहले ही वहां पर भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात कर दिया गया था। कुछ छात्रों को हिरासत में भी लिया गया। जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से कहा गया कि डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की इजाजत नहीं ली गई है। निहित स्वार्थ वाले लोगों और संगठनों को माहौल बिगाड़ने की कोशिश की, जिन्हें रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।

डीयू की आर्ट फैकल्टी में स्क्रीनिंग पर विवाद

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का विवाद जेएनयू व जामिया से चलकर दिल्ली यूनिवर्सिटी पहुंच गया है। एनएसयूआई केरला द्वारा आर्ट फैकल्टी में स्क्रीनिंग के लिए 4:00 बजे का समय दिया था। लेकिन इसका आयोजन नहीं हो सका। कोई विवाद ना हो इसलिए गेट के बाहर भारी पुलिस बल तैनात है। पुलिस ने धारा 144 भी लगा दी है। वहीं प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया है।

कांग्रेस ने कई राज्यों में की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग

कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के साथ ही पार्टी ने भी देश के कई राज्यों में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की। केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने 26 जनवरी को अपने कार्यालय में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया। केरल इकाई के महासचिव जीएस बाबू ने कहा कि हमें आम जनता से डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। इसके अलावा अन्य प्रदेशों में भी कांग्रेस पदाधिकारियों ने इसकी स्क्रीनिंग रखी।

गोवा के राज्यपाल ने बताया दुर्भावनापूर्ण

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लै ने कहा कि ये भारत के खिलाफ ‘षड्यंत्र’ है। उन्होंने कहा कि ये डॉक्यूमेंट्री ‘प्रधानमंत्री का चरित्र हनन’, देश के खिलाफ हमले, उनके अपमान और दुर्भावनापूर्ण कृत्य के समान है। उन्होंने कहा, ‘इस मामले में प्रधानमंत्री पर हमला भारतीय न्यायपालिका के लिए भी चुनौती है। उसने इस मामले (गुजरात दंगों) पर नजर रखी है और इससे प्रधानमंत्री को जोड़ने का सवाल ही नहीं है।

केरल के राज्यपाल जताई हैरानी

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री पर कहा कि वह इस बात पर हैरान है कि लोग एक विदेशी डॉक्यूमेंट्री निर्माता, ‘वह भी हमारे औपनिवेशिक शासक’, की राय को देश की शीर्ष अदालत के फैसले से अधिक महत्व दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इतने सारे न्यायिक फैसले, जिनमें इस जमीन की शीर्ष अदालत का फैसला भी शामिल है। इन सभी चीजों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। यह एक ऐसा समय है जब भारत ने जी20 की अध्यक्षता ग्रहण की है। इस झूठी सामग्री को सामने लाने के लिए यह विशेष समय क्यों चुना गया ?

डॉक्यूमेंट्री विवाद पर अनिल एंटनी ने छोड़ी कांग्रेस

कांग्रेस नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने 25 जनवरी को कांग्रेस से इस्तीफा देने का एलान किया। अनिल एंटनी ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर कांग्रेस की पार्टीलाइन से अलग हटकर उसका विरोध किया था। अनिल एंटनी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘मैंने कांग्रेस से अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। मुझ पर एक ट्वीट को वापस लेने के असहिष्णुता से दबाव बनाया जा रहा था। वह भी उनकी तरफ से जो अभिव्यक्ति की आजादी के लिए खड़े होने की बात करते हैं। मैंने मना कर दिया।

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