एस्ट्रो डेस्क : 21 अक्टूबर से कार्तिक का महीना शुरू हो गया है। जो 19 नवंबर तक चलेगा। शास्त्रों में कार्तिक मास को बहुत ही विशेष माना गया है। इस महीने के स्वामी भगवान विष्णु हैं। कार्तिक मास की शुक्लपक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और चार मास की यह अवधि समाप्त हो जाती है। इस महीने के दौरान भगवान विष्णु के साथ तुलसी और आंवला के पेड़ों की पूजा करने की प्रथा है। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि कार्तिक मास में आंवला और तुलसी की पूजा करने से सभी प्रकार के पाप दूर हो जाते हैं। आंवला और तुलसी को लक्ष्मी का रूप माना जाता है।
पुरी के एक ज्योतिषी डॉ. गणेश मिश्रा ने कहा कि इस महीने बहुत जल्दी उठकर मंदिर के जल से स्नान कर सुबह जल्दी पूजा करने का नियम है। साथ ही तुलसी की पूजा की जाती है और सुबह-शाम दीपक जलाए जाते हैं। कार्तिक मास में दीपक जलाने से अनेक यज्ञ करने का पुण्य प्राप्त होता है।
आंवला पूजा: कार्तिक माह में सुबह उठकर आंवला के पेड़ में गंगाजल मिलाकर चढ़ाना चाहिए। फिर चंदन, अक्षत, रोली, कुमकुम, हल्दी और फूलों से पेड़ की पूजा करें। फिर पेड़ के पास घी का दीपक जलाएं। इस तरह भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त हुई और लक्ष्मीजी भी प्रसन्न हुईं।
तुलसी पूजा: शालग्राम का दूध और पानी से अभिषेक करें और पूजा सामग्री चढ़ाएं। कुछ अभिषेक जल स्वयं पी लें और शेष तुलसी को दे दें। फिर आपको हल्दी, चंदन, कुमकुम, अक्षत, फूल और अन्य पूजा सामग्री से तुलसी माता की पूजा करनी है।
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दीपदान देता है पुण्य का फल
शास्त्रों में कहा गया है कि इस महीने अगर आप दीपक का दान करते हैं तो आपको दरिद्रता से मुक्ति मिल सकती है। ऐसा भी माना जाता है कि कार्तिक मास में सभी प्रकार का दान करने और कई तीर्थों में जाने से मंदिर में तुलसी, पीपल और प्रदीप का दान करने से वही पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए इस दिन तुलसी, आंवला, पीपल, नदियों, तालाबों, कुओं और मंदिरों में दीपक जलाना चाहिए।