Nahi De Sakte Corona Se Marne Walon Ke Parijano Ko Muawza – Kendra Sarkar , corona se marne walon ke parivar ko muawza , coronavirus se marne walon ko muawza dena , kya coronavirus se marne walon ke parivar walon ko milega muawza
कोरोना महामारी में अपनी जान गंवाने वाले लोगों के परिवार वालों काे मुआवजा देने के केस में केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में दूसरा हलफनामा पेश किया है। इस हलफनामे में बोला गया है कि यह मुद्दा पैसे का नहीं है, किंतु कोविड से जान गंवाने वालाें के परिवार वालों काे चार – चार लाख रुपये मुआवजा नहीं दे सकते। सरकार द्वारा हर्जाना न देने के पीछे की वजह संसाधनों का सही तरीके से इस्तेमाल बताया गया है।
क्या है केंद्र सरकार के सेकंड एफिडेविट में?
केंद्र द्वारा दूसरे एफिडेविट में बोला गया है कि यह महामारी फर्स्ट टाइम आई है। राष्ट्रीय तथा राज्य आपदा माेचन काेष (एनडीआरएफ-एसडीआरएफ) ही नहीं, भारत सरकार की संचित निधि से भी पैसों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
2015 – 2020 के लिए जारी किये गए निर्देशों में 12 मुख्य आपदाओं पर राहत के लिए व्यय की सिफारिश है। जिसमें चक्रवात, सूखा, भूकंप, आग, बाढ़, सुनामी, ओलावृष्टि, भूस्खलन, हिमस्खलन, बादल फटना तथा शीतलहर सम्मिलित हैं, किंतु काेराेना नहीं है।
और बढ़ेगा मरने वालों का आंकड़ा : केंद्र
केंद्र द्वारा इसके पहले शपथपत्र में बोला था कि अब तक भारत में कोविड से 3 लाख 85 हजार लोगों की जान जा चुकी हैं। यह आंकड़ा और भी बढ़ेगा। इन हालातों में प्रत्येक पीड़ित परिवार को मुआवजा देना पॉसिबल नहीं है। क्योंकि सरकार की भी आर्थिक सीमाएं हैं। केंद्र के फर्स्ट एफिडेविट के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने दूसरा एफिडेविट पेश करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही अपना निर्णय सेफ रख लिया था।
किसी एक बीमारी से मौत पर मुआवजा देना गलत होगा – बोला गया था पहले
पहले हलफनामे में केंद्र ने बोला था कि कोविड से जिन लोगों की जान गई है, उनके परिजनो को सरकार चार लाख रुपए का हर्जाना नहीं दे सकेगी। आपदा कानून के अंतर्गत अनिवार्य मुआवजा केवल प्राकृतिक विपदाओं जैसे कि भूकंप, बाढ़ आदि पर ही लागू होता है। सरकार का मत है कि यदि एक बीमारी से होने वाली मौतों पर हर्जाना दिया जाए तथा दूसरी पर नहीं, तो यह सही नही होगा।
यदि मुआवजा दिया तो समाप्त हो जायेगी राज्यों की निधि
183 पन्नो के हलफनामे में केंद्र द्वारा यह भी बोला गया था कि इस प्रकार का भुगतान राज्यों के पास उपलब्ध SDRF से होता है। यदि राज्यों को प्रत्येक मौत के लिए चार लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया गया, तो उनकी पूरी निधि ही समाप्त हो जाएगी। जिससे कोरोना के विरुद्ध जारी जंग के साथ ही बाढ़, चक्रवात जैसी विपदाओं से भी लड़ना नामुमकिन हो जाएगा।
कोविड से गयी जानो को करेंगे सर्टिफाइड
केंद्र द्वारा कोर्ट को बताया गया था कि कोविड से होने वाली सारी मौतों को कोविड डेथ के तौर पर दर्ज किया जाना चाहिए। फिर चाहे वे मौतें कहीं भी हुईं हों। इसके पूर्व कई मीडिया रिपोर्ट्स में छह से अधिक राज्यों में कोविड से जाने वाली जानो की संख्या में फ्रॉड का मामला उठाया गया था।
अब तक केवल हॉस्पिटलों में गयी कोविड मरीजों की जान को ही कोविड डेथ के तौर पर दर्ज किया जाता था। यहां तक कि घर पर अथवा हॉस्पिटल की पार्किंग व गेट पर जाने वाली जानो को भी कोविड आंकड़ों में रिकॉर्ड नहीं किया जा रहा था। इस कारण से मौत की संख्या में विसंगतियां नजर आ रही थीं।
सुप्रीम कोर्ट में 2 याचिकाओं पर चल रही है सुनवाई
कोविड से जान गवाने वालाें के परिवार वालो काे हर्जाना देने की डिमांड से रिलेटेड 2 अलग-अलग याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई की जा रही है। एक याचिका एड्वोकेट रीपक कंसल ने दर्ज की है। जबकि दूसरी याचिका गाैरव कुमार बंसल ने की है। इन याचिकाओं में मुआवजा देने तथा डेथ सर्टिफिकेट जारी करने की व्यवस्था को सरल बनाने का केंद्र काे निर्देश देने की डिमांड की गई है।
Written By : Aarti Vishwakarma
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