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यूपी की दलित राजनीतिक पार्टी भीम आर्मी ने अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में समाप्त हुए पंचायत चुनाव के रिजल्ट्स पर प्रभाव डालकर कई बड़ी स्थापित सियासी पार्टियों के समीकरण बिगाड़ दिए हैं। अब से चार माह पूर्व प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन द्वारा भविष्य को आकार देकर उभरते हुए विश्व के सौ प्रभावशाली व्यक्तियों में भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर को सम्मिलित किया गया था।
एक इंटरव्यू में चंद्रशेखर से हुई बातचीत
क्या यूपी चुनाव पर किसान आंदोलन का कोई प्रभाव पड़ने वाला है?
किसानों की भूमि तथा फसल पर उद्योगपतियों का कब्जा कराने का केंद्र द्वारा षडयंत्र रचा गया है, इसलिए मजबूरन ये आंदोलन किया गया है। हम शुरुआत से ही आंदोलन के समर्थन में हैं। किसान आंदोलन की यह पावर है कि बीजेपी के लीडर गांवों में नहीं घुस सके। पश्चिमी UP से 2019 के लोकसभा तथा 2017 के विधानसभा इलेक्शन में BJP ने सबसे अधिक सीटें जीतीं। अब सत्ता का गलत उपयोग करके प्रदेश में अपने जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने की कोशिश में हैं, परंतु रियलटी यह है कि पंचायत इलेक्शन में यह गांवों में नहीं जा सके।
भीम आर्मी के माध्यम से आप एक्टिव थे तो फिर क्यों बनानी पड़ी पार्टी?
विपक्ष आम जनता की लड़ाई को लड़ने में नाकामयाब रहा है। हमारा मानना यह है कि जिसकी कोई पार्टी नहीं होती, उसकी किसी भी परेशानी का सॉल्यूशन नहीं होता। आज जो सत्ता है वह तानाशाह है, बोलने वाले पर केस लगा देते हैं। इन हालातों में अपनी जंग किसी अन्य के भरोसे नहीं छोड़ी जा सकती थी। भीम आर्मी द्वारा सामाजिक बदलाव किये गए तथा अब राजनीतिक जड़ों को मजबूत करने निकले हैं।
पहले से बने हुई इतनी मजबूत पार्टियों से आप कितना मुकाबला कर पाएंगे?
दल की हैसियत मतदाताओं से निर्धारित होती है। यह जरूर है कि हमारे पर संसाधन नही हैं, परंतु हौसला वही रखते हैं। मोटरसाइकलों, साइकिलो से गांव-गांव जाके लोगों को जागरूक कर रहे हैं। हमने तो कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानतें जब्त होने का वक़्त भी देखा। बीजेपी तथा जनसंघ की 2-2 सीटें आती थीं तथा आज की सरकारें पूर्ण बहुमत हैं।
पंचायत चुनाव में कैसी रही पार्टी की परफॉर्मेंस?
उत्तरप्रदेश का ऐसा कोई जिला नहीं है, जहां पर हम जीते न हो। जहां पर जीत नही पाए, वहां पर दूसरे या तीसरे नंबर पर रहे।
मायावती द्वारा कई बार आप पर कमेंट किये गए , उस पर आपकी चुप्पी को क्या समझा जाए?
मेरा प्रश्न है, मायावती जी से के कि वह जिनसे वोट मांगती हैं, जिनको अपना मानती हैं, उन पर जुल्म होते समय चुप क्यों रहती हैं? क्यों नहीं करतीं आंदोलन? उन्होंने तो बोला था कि वोट हमारा, राज तुम्हारा नहीं चलेगा। इसके उलट लोकसभा में रितेश पांडेय तथा राज्यसभा में सतीश मिश्रा BSP के लीडर हैं। इनमें दलितों का संचालन कहां है?
सारे बीजेपी विरोधी एकजुट आए, BSP भी सम्मिलित हो तो क्या ये स्वीकार है?
जी उनका स्वागत है। उनसे मेरी पर्सनल नहीं, वैचारिक लड़ाई है। अभी BSP के लोगों से बात भी जारी है। आशा है कि उनसे गठबंधन भी हो जाए। पहला उद्देश्य बीजेपी को हटाना है। कोरोना के दौर में बीजेपी ने जनता से मजाक किया। मैनेजमेंट की सरकार द्वारा कोविड से हुई मौतों की संख्या छुपाई गयी। हम रियल आंकड़ों पर कार्य कर रहे हैं।
Written By : Aarti Vishwakarma
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