वक्फ संशोधन एक्ट 2025 के खिलाफ करीब दर्जन भर याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अलावा, केरल की सुन्नी मुस्लिम विद्वानों की संस्था ‘समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य लोगों ने इस कानून को चुनौती दी है। इन याचिकाओं को सुनवाई के लिए 15 अप्रैल को किसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है, हालांकि यह अब तक सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर लिस्ट नहीं हुआ है।
केंद्र सरकार ने दाखिल की है कैविएट याचिका
केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दायर की है, जिसका मतलब होता है-‘सुने जाने की गुहार।’ इस याचिका में आग्रह किया गया है कि वक़्फ (संशोधन) कानून, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोई आदेश पारित करने से पहले केंद्र सरकार की बात को भी सुना जाए। तो सबसे पहले जान लीजिए कि ये कैविएट याचिका क्या होती है और इसे दाखिल करने की प्रक्रिया क्या होती है। तो बता दें कि कैविएट याचिका के तहत कोई पक्ष हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करने के लिए आवेदन करता है कि उसके खिलाफ कोई आदेश बिना उसको सुने न पारित किया जाए।
कैविएट का मतलब क्या है
“केवियट” एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है “सावधान”। दरअसल, “केवियट” एक कानूनी नोटिस है जो किसी एक पार्टी द्वारा दायर किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में कोई आदेश या निर्णय दिए जाने से पहले उन्हें सुनवाई का मौका दिया जाए। सिविल प्रक्रिया संहिता 1963 की धारा 148-ए में कैविएट दर्ज करने का प्रावधान है। कैविएट याचिका दाखिल करने या दर्ज कराने वाले व्यक्ति को कैविएटर कहा जाता है। यानी वक्फ कानून को लेकर दायर की गई याचिका में केंद्र सरकार कैविएटर है।
कैविएट याचिका कौन दाखिल कर सकता है ?
किसी भी व्यक्ति द्वारा कैविएट दाखिल किया जा सकता है जो किसी आवेदन पर पारित होने वाले अंतरिम आदेश से प्रभावित होने वाला है, जिसके किसी न्यायालय में दायर या दायर होने वाले किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में किए जाने की संभावना है। कोई भी व्यक्ति जो उपर्युक्त आवेदन की सुनवाई पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के अधिकार का दावा करता है, वह इसके संबंध में कैविएट दाखिल कर सकता है। कैविएट को कैविएटर या उसकी ओर से किसी वकील द्वारा एक नकल के साथ दायर किया जाना चाहिए और इसे न्यायालय द्वारा बनाए गए कैविएट रजिस्टर में याचिका के रूप में या न्यायालय द्वारा निर्धारित किसी अन्य रूप में रजिस्टर्ड करवाना चाहिए।
कैविएट कब दर्ज की जा सकती है ?
कोर्ट में सामान्यतः निर्णय सुनाए जाने या आदेश पारित होने के बाद कैविएट दर्ज की जा सकती है। सीपीसी की धारा 148-ए के प्रावधान केवल उन मामलों में लागू हो सकते हैं, जहां आवेदन पर कोई आदेश दिए जाने या दायर किए जाने के प्रस्ताव से पहले कैविएटर को सुनवाई का अधिकार है। सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत कैविएट का कोई फार्मेट निर्धारित नहीं किया गया है, इसलिए इसे एक याचिका के रूप में दायर किया जा सकता है।
कैविएट से जुड़ी अहम बातें
जहां कोई कैविएट दाखिल कर दी गई है, वहां ऐसी कैविएट दाखिल किए जाने की तारीख से 90 दिन की समाप्ति के बाद तब तक प्रभावी नहीं रहेगी जब तक कि आवेदन ऐसी अवधि की समाप्ति से पूर्व न किया गया हो। कैविएट का मुख्य उद्देश्य किसी व्यक्ति के हितों की रक्षा करना जिसके विरुद्ध मुकदमा दायर है या दायर होने की संभावना है। ऐसे मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में किसी पक्ष द्वारा दाखिल आवेदन पर आदेश पारित किया जा सकता है।
ऐसा व्यक्ति जो कैविएट दाखिल करता है, उस व्यक्ति का ऐसे आवेदन में आवश्यक पक्षकार होना जरूरी नहीं है, लेकिन वह ऐसे आवेदन पर पारित आदेश से प्रभावित हो सकता है। कैविएट न्यायालय के बोझ को कम करने में सहायता करता है और कार्यवाही की बहुलता को कम करता है तथा मुकदमेबाजी को समाप्त करता है।
किसी मुकदमे या कार्यवाही में कैविएट का आवेदन दायर किया जा सकता है। हालांकि, कुछ उच्च न्यायालयों ने माना है कि अपील (चाहे पहली या दूसरी) या निष्पादन कार्यवाही के दौरान कैविएट के आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकता है। कैविएट दाखिल करने की तारीख से 90 दिनों से अधिक समय-सीमा तक वैध नहीं होगी। 90 दिन की अवधि बीत जाने के बाद, कैविएट का नवीनीकरण किया जा सकता है।
कैविएट याचिका क्या है
बता दे कि कैविएट को कैविएटर या उसकी ओर से किसी वकील द्वारा एक नकल के साथ दायर किया जाना चाहिए और इसे न्यायालय द्वारा बनाए गए कैविएट रजिस्टर में याचिका के रूप में या न्यायालय द्वारा निर्धारित किसी अन्य रूप में रजिस्टर्ड करवाना चाहिए।
कैविएट दायर करने के लिए आवश्यक दस्तावेज
>> कैविएट दाखिल करने वाले व्यक्ति का पहचान प्रमाण-पत्र जेसे की आधार-कार्ड
>> वकालत-नामा और उपस्थिति का ज्ञापन
>> कैविएट नोटिस की पंजीकृत डाक की रसीद
>> शपथ -पत्र
>> विवादित या मुल आदेश
>> कैविएट दाखिल करने के लिए इंडेक्स फॉर्म
कैविएट याचिका कैसे दायर करें
>> कैविएटर को शपथ-पत्र और याचिका पर हस्ताक्षर करना होगा।
>> शपथ-पत्र को अधिकृत शपथ आयुक्त द्वारा सत्यापित कराना चाहिए।
>> शपथ-पत्र और याचिका के साथ हस्ताक्षरित वकालत-नामा भी लगाना पड़ता है जो न्यायालय के समक्ष वकील को उसका प्रतिनिधित्व करने का अधिकार प्रदान करता है।
>> कैविएट याचिका के साथ विवादित या मूल आदेश (वह आदेश जिसके खिलाफ अपील या न्यायिक कार्यवाही की गई हो या करने की संभावना हो) संलग्न किया जाएगा।
>> वही कैविएट के नोटिस की तामील (पंजीकृत डाक की रसीद) न्यायालय में पेश किया जाना चाहिए, जिससे पता चले कि कैविएटर ने संबंधित पक्षों को उनकी कैविएट के बारे में सूचित कर दिया है।
>> कैविएट याचिका, शपथ-पत्र और सभी दस्तावेज निर्धारित प्रारूप में हों और न्यायालय के नियमों के अनुसार होने चाहिए।
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