एस्ट्रो डेस्क : काल भैरव अष्टमी पर उपवास और भगवान भैरव की विशेष पूजा का भी विधान है। यदि आप इस पर्व में भैरव की पूजा नहीं कर सकते हैं, भले ही आप असहाय लोगों को ऊनी कपड़े या कंबल दान कर दें, तो भी आपको पूजा का फल मिल सकता है। विद्वानों का कहना है कि जरूरतमंद और संकटग्रस्त लोगों की मदद से भगवान भैरव प्रसन्न हुए। क्योंकि कल भैरव रक्षक का रूप है।
काल भैरव को भगवान शिव का तीसरा रुद्र अवतार माना जाता है। पुराणों के अनुसार मार्गशी मास में कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान काल भैरव प्रकट हुए थे। इस बार कल भैरव अष्टमी 26 नवंबर शनिवार है। इस कृष्णष्टमी में भगवान शंकर से भैरव के रूप की उत्पत्ति हुई थी। कल भी भैरव डरते हैं। इसलिए उन्हें कालभैरव भी कहा जाता है।
कंबल दान करना अत्यंत शुभ होता है
इस बार कल भैरव अष्टमी शनिवार है। इसलिए आने वाला महीना होने के कारण इस पर्व में दो रंग के कम्बल का दान करना पड़ता है। इस भैरव से शनिदेव भी प्रसन्न होंगे। साथ ही राहु-केतु कुंडली में मौजूद अशुभ फल भी कम होंगे। पुराणों के अनुसार सर्दी के कारण आने वाले महीने में ऊनी वस्त्रों का दान करना आवश्यक है। यह भगवान विष्णु और लक्ष्मी को भी आशीर्वाद देता है।
कुत्ते को खिलाने की प्रथा जलेबी और इमरती
इस त्योहार में कुत्ते को जलेबी और इमरती खिलाने का रिवाज है। इस प्रकार कल भैरव प्रसन्न हुए। इस दिन गायों को जौ और गुड़ खिलाने से राहु की समस्या दूर हो जाती है। साथ ही इस दिन सरसों का तेल, काला कपड़ा, तला हुआ भोजन, घी, जूते-चप्पल, पीतल के बर्तन आदि का दान करने से शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर होते हैं। जाने अनजाने में किए गए पापों का भी अंत हो जाता है।
काल भैरव की रात्रि पूजा का है विशेष महत्व
पुराणों के अनुसार काल भैरव की पूजा भोर के समय यानि सूर्यास्त के समय या आधी रात को की जाती है। रात को जागकर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान कालभैरब की पूजा का महत्व। काल भैरव के वाहन काले कुत्ते की भी पूजा की जाती है। कुत्ते को तरह-तरह के स्वादिष्ट भोजन दिए जाते हैं। पूजा के दौरान काल भैरव की कथा भी सुनी या सुनाई जाती है।
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सभी प्रकार के भय दूर होते हैं
शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान काल भैरव के उपासकों के सभी भय दूर हो जाते हैं। भगवान भैरव ने भी उनके सभी कष्टों को स्वीकार किया। काल भैरव भगवान शिव का उग्र रूप है। शास्त्रों के अनुसार काल भैरव जयंती के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। भगवान काल भैरव को तंत्र का देवता भी माना जाता है।