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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में बनी सीरप के बारे में किया अलर्ट जारी

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में बनी जिन चार खांसी की सीरप के बारे में अलर्ट जारी कर उनको जानलेवा बताया है |  उनके बारे में अब भारत सरकार ने भी जांच शुरू कर दी है। ये चारों दवा मैडेन फार्मास्यूटिकल्स की हैं, जिसका ऑफिस हरियाणा के सोनीपत में स्थित है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने इस बात की जानकारी दी है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से भारत में निर्मित 4 कफ सिरप के खिलाफ अलर्ट जारी करने के बाद जांच के आदेश दे दिए गए हैं। गौरतलब है कि अफ्रीकी देश गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के मामले में भारत में निर्मित इन 4 कप सिरप को संभावित जिम्मेदार माना जा रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि इन कफ सीरप के कारण इन बच्चों में गुर्दे की गंभीर समस्या पैदा हुई, जिसके कारण इनकी मौत हो गई। गांबिया में कफ सिरप पीने से मौत का कारण उसमें डायथाइलीन ग्लाइकॉल की अधिक मात्रा पाया जाना सामने आया है। यह डायथाइलीन ग्लाइकॉल जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में भी कहर बरपा चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, रामनगर तहसील में 2019-20 में कोल्ड बेस्ट पीसी सीरप पीने से 12 बच्चों की मौत हो गई थी, जबकि 6 बच्चे दिव्यांग हो गए थे।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इन सीरप के 24 सैंपल्स में से 4 सैंपल दूषित मिले हैं। इनमें डाइथीलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल की अस्वीकार्य मात्रा की पुष्टि हुई है | जो इंसानों के लिए बेहद खतरनाक है।

भारत में आपूर्ति का लाइसेंस नहीं

वहीं अखिल भारतीय केमिस्ट और ड्रगिस्ट संगठन ने कहा है कि, भारत में मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड दवाओं की कोई आपूर्ति नहीं है। संगठन ने बताया है कि वे केवल अपने उत्पादों का भारत से बाहर निर्यात करते हैं। फिर भी, यदि भारत के औषधि महानियंत्रक द्वारा कोई दिशानिर्देश जारी किया जाता है तो हम उन दिशानिर्देशों का पालन करेंगे। भारत सरकार ने भी बताया है कंपनी के पास भारत में इन दवाओं की आपूर्ति के लिए लाइसेंस ही नहीं था | इनको सिर्फ निर्यात किया जा रहा था। कंपनी के ट्विटर प्रोफाइल पर भी इस एक्सक्लूसिव रूप से निर्यात प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी बताया गया है।

सिर्फ गांबिया हुआ निर्यात

लेकिन सवाल है कि क्या गांबिया के बाहर किसी और देश में भी ये दवाएं सप्लाई की जा रही थीं | अभी प्रथम दृष्टया से तो यही लगता है कि ऐसा नहीं है। भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन दोनों ने यही संकते दिए हैं। लेकिन इसके बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह भी आगाह किया है कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ये दूषित दवाएं पश्चिम अफ्रीकी देश के बाहर भी वितरित की गई हों | इसलिए इनसे वैश्विक जोखिम की भी “आशंका” बनी हुई है।

नहीं किया विश्व स्वास्थ्य संगठन को सुरक्षित उत्पाद के बार में आश्वस्त

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि इंगित किए गए निर्माता ने अब तक प्रदूषित उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता पर कोई गारंटी नहीं दी है। तो चलिए आपको एक बार फिर बताते हैं कि डब्ल्यूएचओ द्वारा बुधवार 5 अक्टूबर को जारी मेडिकल प्रोडक्ट अलर्ट के अनुसार, जिन चार उत्पादों में ये शिकायत पाई गई है उनके नाम क्या हैं
1 .प्रोमेथाज़ाइन ओरल सॉल्यूशन (Promethazine Oral Solution)
2 .कोफेक्समेलिन बेबी कफ सीरप (Kofexmalin Baby Cough Syrup)
3 .मैकॉफ बेबी कफ सीरप (Makoff Baby Cough Syrup)
4 .मैग्रिप एन कोल्ड सीरप (Magrip N Cold Syrup)

सुप्रीम कोर्ट में लंबित है उधमपुर मामला

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से भी यह मामला उठाया गया, जिसकी सिफारिश पर प्रदेश सरकार ने जान गंवाने वाले 12 शिशुओं के परिजनों को 3-3 लाख रुपये की मुआवजा राशि दी। आयोग ने जांच में पाया कि इसमें राज्य सरकार के ड्रग कंट्रोल विभाग से लापरवाही हुई, जिसने दवा की जांच ठीक से नहीं की। अनाधिकारिक आंकड़ों में मौतों की संख्या 14 बताई जाती है। बता दें कि केंद्र शासित प्रशासन की ओर से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी उठाया गया, जहां दूसरी याचिका पर सुनवाई लंबित है।

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