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मॉनसून सत्र में ही आएगा जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ?

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो रहा है और इस दौरान जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव भी लाया जाएगा। संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने बताया कि 21 अगस्त तक चलने वाले सत्र में कुल 21 दिन तक सदन चलेगा। इस दौरान ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले पर भी चर्चा होगी। जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लोकसभा के मानसून सत्र में सरकार लेकर आएगी। इस प्रस्ताव पर अब तक 100 से ज्यादा सांसद अपने हस्ताक्षर कर चुके हैं। कांग्रेस के 40 सांसदों ने इस प्रस्ताव पर अपने हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी शामिल हैं।

पहलगाम हमले पर नियमानुसार होगी चर्चा

पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा को लेकर संसदीय कार्य मंत्री ने कहा “हम सभी महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा के लिए तैयार हैं। चाहे पहलगाम हमला हो या ऑपरेशन सिंदूर, लेकिन नियम के अनुसार चर्चा होगी। हमने विपक्ष के सारे लोगों के सुझाव सुने हैं।” हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष रुकवाने का कई बार दावा किया है। इस पर चर्चा के सवाल पर उन्होंने कहा कि विदेशी नेताओं के बयान पर सदन में चर्चा का सवाल ही नहीं है।

सांसदों ने किए महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर

सूत्रों के मुताबिक सरकार की तरफ से सभी पार्टियों को एक कोटा दिया गया था और उस कोटे में किस पार्टी से कितने सांसद इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर सकते हैं उसकी संख्या तय की गई थी। कांग्रेस पार्टी के 40 सांसदों को इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने थे और सभी सांसदों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। सभी पार्टियों को हस्ताक्षर कर संसदीय राज्य मंत्री को सौंपने थे। महाभियोग लाने के लिए लोकसभा में 100 और राज्य सभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर चाहिए होते हैं। केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि लोकसभा के 100 सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।

सर्वदलीय बैठक में 40 नेता शामिल

किरण रिजिजू ने बताया “आज बैठक में 51 पार्टी के तरफ से 40 लोग शामिल हुए। उन्होंने अपने-अपने विचार रखे। हमने आग्रह किया है कि सदन सही से चले ये सबकी जिम्मेदारी है। यह पक्ष-विपक्ष दोनों का विषय है। छोटी पार्टियों को ज्यादा समय मिले। इसकी बात हम बीएसी की बैठक में रखेंगे। नियम के तहत हर विषय को लेकर चर्चा की जाएगी।” सदन में पीएम मोदी की मौजूदगी को लेकर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हमेशा सदन में होते हैं। सिर्फ विदेश दौरे के दौरान या कोई विशेष होने पर ही नहीं होते हैं। हर समय पीएम को घसीटना अच्छी बात नहीं है, जिसके विभाग की चर्चा होती है, उस दौरान वे मंत्री होते ही हैं।

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