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क्या है डीपफेक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी ? कैसे करें खुद को सेफ

सोशल मीडिया पर इन दिनों डीपफेक वीडियो का दायरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अभी हाल ही में एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का एक डीपफेक वीडियो खूब वायरल हुआ, इस वीडियो को लेकर अमिताभ बच्चन ने भी चिंता जताई है। इसके बाद कटरीना कैफ की एक डीपफेक फोटो सामने आ रही है। इसके अलावा कई राजनेताओं और सितारों के डीपफेक वीडियोज अक्सर सामने आते रहते है।

वहीं तेलंगाना में भी कुछ नेताओं के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बने वीडियो वायरल हो रहे हैं। ये वीडियोज और फोटोज ऐसे है जिसे देखकर जल्दी कोई नहीं समझ पाएगा कि ये रीयल है या फेक। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि ये डीपफेक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या होती है ये क्यों खतरनाक है ? कैसे इसकी इसके मदद से इस तरह के कंटेट बनाए जा रहे है और इससे आप खुद को कैसे बचाए।

https://x.com/iamRashmika/status/1721555684922364130?s=20

क्या होती है डीपफेक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॅाजी ?

डीपफेक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस किसी मीडिया में बारीकी से बदलाव करने वाली टेक्नोलॉजी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए ऐसा किया जाता है, जिससे रियल वीडियो में दूसरे के चेहरे को फिट कर फेक वीडियो या फोटो बनाया जाता है और जो रियल लगता है। इसे डीप लर्निंग भी कहा जाता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए जब नया वीडियो बनता है तो लोगों के लिए डीपफेक वीडियो की असलियत को पहचानना काफी मुश्किल हो जाता है।

इस डीपफेक टेक्नोलॉजी के जरिए किसी इंसान के चहरे, आवाज आदि का यूज करते हुए नकली फोटो, वीडियो या ऑडियो तैयार किया जाता है। ये टेक्नोलॉजी सबसे ज्यादा फेक वीडियो के लिए यूज होती है। एक वीडियो के साथ छेड़छाड़ करते हुए उसपर रश्मिका मंदाना का चेहरा दिखाया गया है। इस वायरल वीडियो में मंदाना का चेहरा ब्रिटिश-भारतीय महिला ज़ारा पटेल के साथ बदल दिया गया था जिसे लोग रियल मानने लगे थे।

डीपफेक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॅाजी को लेकर सरकार हुई सख्त

इस वायरल वीडियो के बाद सरकार की ओर से भी बयान जारी किया गया है। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया पर लिखा कि पीएम नरेंद्र मोदी इंटरनेट यूज करने वाले सभी डिजिटल नागरिक की सुरक्षा और भरोसे को सुनिश्चित करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि डीपफेक लेटेस्ट और सबसे खरतनाक और इससे डील करने की जरूरत है।

ओबामा और जुकरबर्ग भी हो चुके है डीपफेक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का शिकार

बता दें कि, अधिकांश डीपफेक वीडियो एडल्ट कंटेट होते है। साथ ही इसका यूज लोगों को झूठा बताने और राजनेताओं की डिजिटल रूप से परिवर्तित क्लिप भी वायरल की जाती है। कुछ साल पहले, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को व्यापक रूप से प्रसारित एक डीपफेक वीडियो में डोनाल्ड ट्रम्प को पूरी तरह से मूर्ख कहते हुए देखा गया था। इसी तरह, मेटा प्रमुख मार्क जुकरबर्ग को ऐसे ही एक अन्य वीडियो में “अरबों लोगों के चुराए गए डेटा पर पूरा कंट्रोल” होने का दावा करते देखा गया था।

इस एक्ट के तहत हो सकती है सख्त कार्रवाई

डीपफेक वीडियो से पूरी तरह निपटना वाकई बहुत ही मुश्किल है, हालांकि, सरकार ने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) एक्ट, 2000 के तहत इस तरह के मामलों को रोकने के लिए प्रावधान किए हैं। इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) नियम 2021 के तहत सरकार ट्रैसेबिलिटी प्रोविजन का यूज कर सकती है। इसके तहत सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से उस व्यक्ति की जानकारी मांग सकती है, जिसने सबसे पहले फेक न्यूज, डीपफेक वीडियो या गलत जानकारी शेयर की है।

खासतौर पर डीपफेक के मामले में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) एक्ट 2000 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। अगर किसी व्यक्ति की पर्सनैलिटी के साथ इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में छेड़छाड़ की जाती है, या उसका भ्रामक या आपत्तिजनक पोस्ट शेयर किया जाता है, तो सेक्शन 66C, 66E और 67 के तहत कार्रवाई हो सकती है। इसमें जुर्माना और जेल की सजा प्रावधान भी है।

डीपफेक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॅाजी से कैसे बचें

डीपफेक वीडियो की पहचाना काफी मुश्किल काम है। कहीं आप डीपफेक के शिकार ना हो जाएं, इसके लिए सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीर या वीडियो शेयर करते हुए थोड़ा सावधान रहें। अगर आपके साथ डीपफेक जैसी कोई चीज होती है, तो तुरंत पुलिस या साइबर सेल में कंप्लेंट करें।

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