Homeराजनीतिबीजेपी की 'परिवर्तन संकल्प यात्रा' से वसुंधरा राजे ने बनाई दूरी

बीजेपी की ‘परिवर्तन संकल्प यात्रा’ से वसुंधरा राजे ने बनाई दूरी

राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी परिवर्तन संकल्प यात्रा निकाल रही है। बताया जा रहा है कि इस यात्रा को उम्मीद के मुताबिक रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है। इस यात्रा में केंद्रीय नेताओं और वसुंधरा राजे की गैर-मौजूदगी भी अब कई अटकलों को हवा दे रही है। बीजेपी ने 2 सितंबर को राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले से अपनी यात्रा शुरू की।

यात्रा के उद्घाटन के दिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित पार्टी के कई दिग्गज मौजूद थे। हालांकि जैसे-जैसे यह यात्रा राज्य के विभिन्न जिलों से होकर आगे बढ़ रही है, लोगों की प्रतिक्रिया पार्टी के लिए चिंता का कारण बन गई है। इस यात्रा के बड़े हिस्से में जहां बीजेपी का शीर्ष केंद्रीय नेतृत्व  मौजूद नहीं रहा, वहीं राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी गैर-मौजूद रहने का फैसला किया है।

इस यात्रा से केंद्रीय नेताओं और वसुंधरा की दूरी को लेकर सवाल उठ रहे हैं, साथ ही बड़े नेताओं के इस फैसले ने एक बार फिर राजस्थान बीजेपी के भीतर आंतरिक कलह की अफवाहों को हवा दे दी है। सूत्रों का दावा है कि वसुंधरा राजे द्वारा राज्य के कई नेताओं के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध नहीं रखना इस साल विधानसभा चुनावों में पार्टी को महंगा पड़ सकता है।

‘परिवर्तन संकल्प यात्रा’ सवाई माधोपुर, नागौर के मेधाता, कुचामन और राज्य के दूसरे हिस्सों में निकाली जा चुकी है, लेकिन वसुंधरा की अनुपस्थिति की वजह से रिस्पॉन्स बेहद धीमा है। जिससे अफवाहों को बल मिला है कि पूर्व मुख्यमंत्री पर्याप्त महत्व नहीं दिए जाने से नाराज हैं। यात्रा के अब तक के बड़े हिस्से में सार्वजनिक बैठकों के दौरान खाली कुर्सियां, भीड़ की अनुपस्थिति और पार्टी कैडर के उत्साह की कमी देखी गई है।

राजस्थान में सीएम पद की दौड़ में कौन-कौन शामिल ?

राजस्थान में दो बार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अलावा गजेंद्र सिंह शेखावत, राजेंद्र राठौड़, भूपेन्द्र यादव, अश्विनी वैष्णव, दीया कुमारी जैसे लोग मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं। पहले यह अफवाह थी कि कर्नाटक में बीजेपी को मिली हार से पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व पुराने और स्थापित नेताओं को दरकिनार कर और नए चेहरों को सामने लाकर राज्यों में पीढ़ीगत नेतृत्व में परिवर्तन लाने की अपनी रणनीति पर फिर से काम कर सकता है।

क्या खुद को दरकिनार महसूस कर रहीं वसुंधरा ?

चर्चा है कि राजे इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं किए जाने से नाखुश हैं। सूत्रों ने यह भी दावा किया कि आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर गठित समितियां, चाहे वह संकल्प पत्र समिति हो या चुनाव प्रबंधन समिति किसी में भी राजे को प्रमुख स्थान नहीं दिया गया है, इसके चलते वसुंधरा खुद को दरकिनार महसूस कर रही हैं।

पार्टी ने वसुंधरा को ऐसे किया दरकिनार

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी जिस तरह से राजस्थान की 2 बार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ व्यवहार कर रही है। जिस तरह पार्टी ने कर्नाटक में अपने वरिष्ठ नेतृत्व के साथ व्यवहार किया, उनके बीच कई समानताएं हैं। वहीं, राजे खेमे का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने पिछले कई वर्षों से दरकिनार कर दिया है। उन्हें पार्टी में और राजस्थान के संबंध में उच्च स्तरीय परामर्श समिति का हिस्सा नहीं बनाया गया था।

क्या है पार्टी के नेताओं का कहना ?

जब पार्टी नेताओं से इस ठंडी प्रतिक्रिया के बारे में सवाल किया तो उन्होंने यह मानने से इनकार कर दिया कि यात्रा राज्य में अब तक फ्लॉप शो साबित हुई है। बीजेपी नेता ज्योति मिर्धा ने कहा कि कुचामन, डीडवाना और परबतसर में प्रतिक्रिया अच्छी रही है। मैं उससे पहले वहां नहीं थी। उधर, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यात्रा के दौरान बारिश हो रही है।

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