Vaccine Trial Ke Liye Gaye Bachchon Me Mili Corona Ki Antibodies , bachchon me mili corona ki antibodies , bachchon mila coronavirus ki anti bodies , bachch me mila corona ka antibody
कोविड की सेकंड वेव मे छह वर्ष से कम आयु के बच्चों को कोरोना संक्रमण तो हुआ, पर उनकी तबियत नही बिगड़ी। ये बात दिल्ली AIIMS तथा पटना AIIMS में एकत्रित किये जा रहे आंकड़ों से प्रूव होती है। जिसके 2 फैक्ट हैं।
फर्स्ट – AIIMS द्वारा एकत्रित किये जा रहे आंकड़ों तथा हाल ही में किये गये सीरो सर्वे के तहत साइंटिस्ट इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि सेकंड वेव के समय शहरों में आधे से अधिक बच्चे संक्रमित हुए। सेकंड – इतनी अधिक संख्या में संक्रमित होने के बाद भी छोटे बच्चे बीमार नहीं हुए, इस वजह से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि उनको वैक्सीन लगाने की आवश्यकता ही न पड़े।
दिल्ली AIIMS तथा पटना AIIMS में दो से छह वर्ष तक के बच्चों पर कोवैक्सीन के टेस्ट किये जा रहे हैं। टेस्ट से पहले एंटीबॉडी की जाँच की जाती है, जिससे पता किया जा कि बच्चे कोरोना पॉजिटिव तो नहीं हुए हैं। दरअसल, टेस्ट में उनको ही सम्मिलित किया जा रहा है, जो कभी संक्रमित नहीं हुए है। AIIMS में टेस्ट से पूर्व बच्चों की स्क्रीनिंग की गई, जिसके रिजल्ट्स देखकर साइंटिस्ट भी हैरान हो रहे हैं।
55 % बच्चों मे मिली कोरोना की एंटिबॉडीज़
दिल्ली में टेस्ट के लिए अब तक जितने भी बच्चे गये, उनमें से 55 फीसदी में एंटीबॉडी मिली। एंटीबॉडी कोरोना पॉजिटिव होने के बाद डेवलप होती है। इसी प्रकार पटना में 60 फीसदी से अधिक बच्चों में एंटीबॉडी मिली। विशेष बात ये है कि इन बच्चों में कभी कोविड के लक्षण नजर नही आये थे। इनके पेरेंट्स से जब पिछली मेडिकल कंडिशन की जानकारी ली गयी तो पता चला कि यह बच्चे संक्रमित नहीं हुए थे।
यह बात साइंटिस्ट्स में नई आशा उत्पन्न कर रही है। दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में कम्यूनिटी मेडिसन डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉक्टर जुगल किशोर के मुताबिक “जब घर के किसी मेंबर को संक्रमण होता है तो फैमिली के अन्य मेंबर्स मुश्किल से ही इस संक्रमण से बच पाते हैं। 55 फीसदी से अधिक बच्चे संक्रमित होकर रिकवर हो गए। जिस वजह से हमें इस विषय पर बात करनी चाहिए कि छोटे बच्चों को टीका लगवाना भी चाहिए अथवा नहीं। जब वह अस्वस्थ नहीं हो रहे तो वैक्सीन की आवश्यकता क्या है।’
सेकंड वेव के समय WHO की सहायता से AIIMS दिल्ली, गोरखपुर, अगरतला, भुुवनेश्वर तथा पुड्डुचेरी में सीरो सर्वे किये गए। एक सर्वे केंद्र पर दो – दो हजार सैंपल शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रो से एकत्रित किये गए। जिसमें सामने आया कि 52.7 फीसदी बच्चे तथा 60 फीसदी से अधिक वयस्क लोगों में एंटीबॉडी मिली। यह हालात मार्च के थे , जिसके रिजल्ट्स अब सामने आए हैं।
10 से 17 वर्ष तक के बच्चे हुए अधिक संक्रमित
एक से चार साल 42.4 प्रतिशत पांच से नौ साल 43.8 प्रतिशत 10 से 17 साल 60.3 प्रतिशत
रिजल्ट्स के अनुसार, 53 फीसदी लड़कों, 58.6 फीसदी लड़कियों में एंटीबॉडी पाई गई, जिसका मतलब वह संक्रमण का शिकार हो चुके हैं।
एक्सपर्ट का मत
थर्ड वेव का बच्चों पर नही होगा असर
“संक्रमण की थर्ड वेव आती है तो भी यह नहीं कहा जा सकता कि बच्चे अस्वस्थ होंगे। वह सेफ ही रहेंगे। क्योंकि, बच्चों में लक्षण नजर नहीं आ रहे तथा टीका गंभीर रूप से बीमार होने से बचाता है, जिस वजह से वर्तमान हालातों को देखकर लगता है कि बच्चों को टीके की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। फिलहाल, टीके पर ट्रायल फ्यूचर के लिए आवश्यक है।’ – प्रो. संजय राय, एम्स दिल्ली
Written By : Aarti Vishwakarma
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