डिजिटल डेस्क : भाजपा ने आगामी यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। भाजपा ने पहले और दूसरे दौर के लिए क्रमश: 57 और 48 उम्मीदवारों की घोषणा की है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने पहली लिस्ट में वही फॉर्मूला अपनाया है, जिसका इस्तेमाल कल्याण सिंह करते थे. अमित शाह के नेतृत्व वाली बीजेपी दलितों और ओबीसी को मिलाकर चुनाव में मिशन-300 प्लस हासिल करना चाहती है.
विशेषज्ञों और विपक्ष के कुछ सदस्यों ने दावा किया है कि ओबीसी समुदाय का भाजपा से मोहभंग हो गया है। यूपी के तीन मंत्रियों दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी और स्वामी प्रसाद मौर्य के पाला बदलने के बाद लगता है कि यूपी में ओबीसी समुदाय अखिलेश की तरफ बढ़ रहा है. लेकिन कल्याण सिंह के फॉर्मूले पर चलते हुए बीजेपी ने ओबीसी समुदाय के विधायकों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिया है, ताकि पार्टी के खिलाफ बनाए जा रहे माहौल में नुकसान को नियंत्रित किया जा सके.
हम आपको बता दें कि इस फॉर्मूले को बीजेपी ने 1991 में अपनाया था और उसे स्पष्ट बहुमत मिला था. वही इतिहास 2014 में दोहराया गया था जब ओबीसी और दलित समाज की एकजुटता के कारण सफलता मिली थी। कल्याण सिंह के फॉर्मूले से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीजेपी की पहली लिस्ट में 44 ओबीसी और 19 दलितों को टिकट दिया गया, जो 60 फीसदी के करीब है.
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ओबीसी के अलावा दलितों पर भी बीजेपी की नजर
भाजपा की पहली सूची में दलित समुदाय के 19 लोगों को टिकट मिला है. दरअसल बीजेपी अब उन दलित वोटरों की पूजा करना चाहती है जिनका बसपा से मोहभंग हो गया है. बीजेपी दलित जाटब को आगे बढ़ाना चाहती है. इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबिरानी मौर्य समेत 19 लोगों को टिकट दिया गया है.