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समाजवादी पार्टी ने 3 बागी विधायकों को पार्टी से निकाला, की थी क्रॉस वोटिंग

समाजवादी पार्टी ने अपने 3 बागी विधायकों को पार्टी से निकाल दिया है। समाजवादी पार्टी की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी दी गई है। सपा की तरफ से कहा गया है कि पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ जाने के कारण इन लोगों को निष्काषित किया गया है। सपा की तरफ से यह भी बताया गया है कि इन सभी विधायकों को हृदय परिवर्तन के लिए समय दिया गया था और यह समय खत्म होने के साथ ही पार्टी से इनकी सदस्यता आधिकारिक तौर पर खत्म कर दी गई है।
समाजवादी पार्टी ने अपने 3 बागी विधायकों को पार्टी से निकाल दिया

वही समाजवादी पार्टी के तीन विधायकों ने पिछले साल राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग की थी। इसके बाद से तीनों विधायक पार्टी से अलग चल रहे थे। क्रॉस वोटिंग के बाद तीनों विधायक न तो सपा के किसी कार्यक्रम में जाते थे, न ही पार्टी ऑफिस पहुंचते थे। इसके बाद तीनों को पार्टी से निकाल दिया गया है।

समाजवादी पार्टी ने क्या कहा ?

वही समाजवादी पार्टी की तरफ से एक्स पोस्ट में लिखा गया “समाजवादी सौहार्दपूर्ण सकारात्मक विचारधारा की राजनीति के विपरीत साम्प्रदायिक विभाजनकारी नकारात्मकता व किसान, महिला, युवा, कारोबारी, नौकरीपेशा और ‘पीडीए विरोधी’ विचारधारा का साथ देने के कारण, समाजवादी पार्टी जनहित में निम्नांकित विधायकों को पार्टी से निष्कासित करती है।

1. मा. विधायक गोशाईगंज अभय सिंह 2. मा. विधायक गौरीगंज राकेश प्रताप सिंह 3. मा. विधायक ऊंचाहार मनोज कुमार पाण्डेय

इन लोगों को हृदय परिवर्तन के लिए दी गयी ‘अनुग्रह-अवधि’ की समय-सीमा अब पूर्ण हुई, शेष की समय-सीमा अच्छे व्यवहार के कारण शेष है। भविष्य में भी ‘जन-विरोधी’ लोगों के लिए पार्टी में कोई स्थान नहीं होगा और पार्टी के मूल विचार की विरोधी गतिविधियां सदैव अक्षम्य मानी जाएंगी। जहां रहें, विश्वसनीय रहें।

सपा के 7 विधायकों ने की थी क्रॉस वोटिंग

2024 में उत्तर प्रदेश की 10 सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव हुआ था। इस दौरान समाजवादी पार्टी के सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। वहीं, एक विधायक मतदान के लिए नहीं पहुंचा था। इससे समाजवादी पार्टी को नुकसान हुआ था। राज्यसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने आठ और समाजवादी पार्टी ने तीन उम्मीदवार उतारे थे। सपा उम्मीदवार के लिए जीत की राह बीजेपी के आठवें उम्मीदवार के मुकाबले आसान थी, लेकिन सात विधायकों ने बीजेपी के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर दिया। इस वजह से बीजेपी उम्मीदवार को जीत मिली थी।

आईये जाने तीनों विधायकों के बारे में ……..

गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह

अमेठी के गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे। वह 2012 से लगातार विधायक बनते आ रहे हैं। 2021 में उन्होंने विधायकी से इस्तीफा भी दे दिया था। इस समय उन्होंने कहा था कि चुनी हुई सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए हैं। इस वजह से वह इस्तीफा दे रहे हैं। राकेश प्रताप सिंह की गिनती सपा प्रमुख अखिलेश यादव के करीबियों में होती थी। 2023 में उन्हें मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी अहम जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन 2024 में पार्टी लाइन से अलग वोट कर उन्होंने पार्टी आलाकमान से अपने रिश्ते खराब किए। अब वह पार्टी से बाहर हो चुके हैं। आगामी चुनाव से पहले वह बीजेपी से जुड़ सकते हैं।

गोसाईंगंज सीट से विधायक अभय सिंह

अयोध्या की गोसाईंगंज सीट से विधायक अभय सिंह ने बहुजन समाजवादी पार्टी के साथ अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी, लेकिन बाद में वह समाजवादी पार्टी में चले गए हैं। 2012 में उन्होंने गोसाईंगंज सीट से पहली बार विधानसभा चुनाव जीता और 2022 में दूसरी बार विधायक बने थे। उन्होंने 2012 में खब्बू तिवारी और 2022 में उनकी पत्नी आरती तिवारी को हराया था। अभय सिंह मूल रूप से जौनपुर से हैं और वे पूर्व पीएम वीपी सिंह के दूर के रिश्तेदार भी बताए जाते हैं।

अभय को माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी माना जाता है। लखनऊ यूनिवर्सिटी में उनकी छात्र राजनीति मुख्तार अंसारी के संरक्षण में शुरू हुई थी। अभय जेलर आरके तिवारी हत्याकांड, विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में आरोपी रह चुके हैं। अभय सिंह ने यूपी विधानसभा अध्यक्ष के साथ राम मंदिर में दर्शन किए थे, जबकि सपा ने ऐसा करने से मना किया था। यहीं से अभय सिंह और अखिलेश यादव के रिश्ते खराब हो गए।

ऊंचाहार सीट से विधायक मनोज पांडे

रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक मनोज पांडे तीन बार विधायक और सपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। 2012 में ऊंचाहार सीट बनने के बाद से वह लगातार यहां से विधायक रहे हैं। कानपुर के फिरोज गांधी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई करने वाले मनोज 16 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के मालिक हैं। रायबरेली में उनका दबदबा माना जाता है। 2012 में उन्होंने इस इलाके से सपा को पांच सीटें जीतने में मदद की थी। यहीं से वह अखिलेश के करीबी बन गए। हालांकि, पार्टी लाइन से अलग वोट करके उन्होंने अपने रिश्ते खराब किए और अब सपा से अलग हो चुके हैं।

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