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आज का जीवन मंत्र : बड़ों का कभी मजाक न बनाएं ,नहीं तो प्रकृति को सजा देगी

 एस्ट्रो डेस्क : कथा – द्वारका के पास एक पिंडारका क्षेत्र था। उस वन में विश्वामित्र, असित, कर्णब, दुर्बासा, भृगु, अंगिरा, कश्यप, बमदेव, अत्रि, बशिष्ठ, नारद मुनि जैसे ऋषि रहते थे। तब ऋषियों को तपस्या करने के लिए ऐसा स्थान मिल जाता था।

एक दिन कृष्ण के जादू वंश के कुछ युवा राजकुमार वन में पहुंचे। यौवन में जोश था, वे खो गए थे, इसलिए सभी ने सोचा कि चलो इन ऋषियों के बारे में कुछ चुटकुले बनाते हैं, उनकी परीक्षा होनी चाहिए।

राजकुमारों ने श्रीकृष्ण की पत्नी जंबंती के पुत्र सांबा को एक साड़ी पहनी, और गर्भवती भेष में थे। फिर उसने संतों से पूछा, “बताओ, यह गर्भवती लड़की लड़का होगी या लड़की?” अंदर आप लोग, सब जानते हैं, कहते हैं।

ऋषियों ने आंखें बंद कर ध्यान किया और महसूस किया कि राजकुमार हमारा मजाक उड़ा रहे हैं, हमारा अपमान कर रहे हैं। तो संतों ने क्रोध में कहा, उसके गर्भ से एक मच्छर पैदा होगा और वह तुम्हारे परिवार को नष्ट कर देगा।

सभी राजकुमार डर गए। जैसे ही उन्होंने साड़ी उतारी, एक सिर बाहर निकल आया। इस महामारी ने बाद में कृष्ण के वंश का विनाश किया।

यह अहंकार क्या है? इस अहंकार से मुक्ति का उपाय क्या है?

सीख- युवावस्था में सोचने की गति तेज होती है, जिससे युवा गलत दिशा में जा सकते हैं। हर समय युवाओं को एक बात समझाएं, बड़ों का कभी अपमान नहीं करना चाहिए। बड़ों की परीक्षा न लें, उनका आशीर्वाद लें। जादू वंश के राजकुमारों द्वारा की गई गलती की सजा पूरे राजवंश को भुगतनी पड़ी। अगर हम ऐसी गलती करते हैं, तो प्रकृति हमें किसी न किसी रूप में सजा जरूर देगी। इस बात का हमेशा ध्यान रखें।

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