एस्ट्रो डेस्क : कथा – श्री राम एक लीला लेकर इस दुनिया से चले गए। तब श्रीराम सोच रहे थे कि मेरे जाने के बाद मेरे प्रशंसकों की रक्षा कौन करेगा? रावण के बुरे गुण भक्तों को सताते रहेंगे। जब उन्होंने हनुमान जी की ओर देखा तो हनुमान जी ने श्रीराम से वरदान मांगा कि जब तक लोग इस दुनिया में आपकी कहानी सुनते रहेंगे, मैं इस दुनिया में रहूंगा।
श्रीराम ने तुरंत यह वरदान हनुमान जीके को दे दिया। हनुमान जी आज भी जीवित हैं। त्रेता युग के बाद द्वापर युग था। द्वापर युग में हनुमान जी हिमालय के गंधमादन पर्वत पर निवास कर रहे थे। स्वर्ग का रास्ता वहीं से होकर जाता।
महाभारत काल में एक दिन भीम गंधमादन पर्वत पर अपनी पत्नी द्रौपदी के लिए सुगंधित फूल लेने जा रहे थे। रास्ते में, जब उसने एक बूढ़े बंदर की पूंछ देखी, तो भीम ने अपनी ताकत पर गर्व करते हुए कर्कश स्वर में कहा, ‘अपनी पूंछ खोलो।’
हनुमान जी को एहसास हुआ कि भीम को अपनी ताकत पर गर्व है। उसने कहा, ‘अपने आप को दूर ले जाओ।’
उसके बाद भीम ने कोशिश की लेकिन बंदर की पूंछ नहीं हिला सका। हनुमानजी ने भीम को पूंछ से गले लगाया और उन्हें दूर फेंक दिया। भीम ने कहा, ‘कृपया मुझे बताओ कि तुम कौन हो?’
जब हनुमानजी ने अपना परिचय दिया, तो भीम ने माफी मांगते हुए कहा, ‘तुम खुद मुझे पहले ही बता देते, तुमने मुझे क्यों पीटा?’
हनुमानजी ने कहा, ‘भीम, मैंने तुम्हारे अहंकार को पीटा है, तुमने नहीं। अहंकारी व्यक्ति सफल भी हो जाए तो भी उसे अधूरा माना जाएगा।
पाठ – इस सन्दर्भ में हनुमान जी ने संदेश दिया कि हमें कभी भी अपने बल पर अभिमान नहीं करना चाहिए। जो मजबूत हैं उन्हें बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की रक्षा करनी चाहिए। अगर हम सक्षम हैं तो विनम्र बनें और दूसरों की मदद करें।