जिस ने प्रधानमंत्री इस अस्पताल का उद्घाटन किया था,वही प्रधानमंत्री इस अस्पताल का पहला मरीज बन गया था | आइये बताते है,ऐसा क्या हुआ की प्रधानमंत्री को एडमिट होना पड़ा | केरल का तिरुअनंतपुरम मेडिकल कॉलेज एवम अस्पताल राज्य के सबसे अहम अस्पतालों में से हैं | हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने टीएमसी अस्पताल की 70वीं वर्षगांठ के मौके पर कार्यक्रम में शिरकत की थी | ये केरल के सबसे पुराने अस्पतालों में से एक है, जो साल 1951 और 1954 में खोले गए थे | भारत के आजाद होने के कुछ दिन बाद ही केरल को दो बड़े अस्पताल मिले थे | 1954 से लोगों को अपनी सेवा दे रहा अस्पताल इसलिए भी खास है, क्योंकि जिस वक्त इसका उद्घाटन हुआ था, वो दिन इतिहास में बेहद खास है |
इसका कारण ये है कि जिस प्रधानमंत्री ने इस अस्पताल का उद्घाटन किया था, वो प्रधानमंत्री ही इस अस्पताल के पहले मरीज बन गए थे | जी हां, जिस दिन अस्पताल का उद्घाटन हुआ,उसी वक्त प्रधानमंत्री को डॉक्टर्स की जरुरत पड़ गई | ऐसे में जानते हैं कि इस अस्पताल का उद्घाटन किसने किया था और उद्घाटन के वक्त ऐसा क्या हुआ कि वो पीएम ही उस अस्पताल के पहले मरीज बन गए |
क्या है पूरा किस्सा ?
बता दें कि साल 1954 में इस अस्पताल का उद्घाटन हुआ था और उस वक्त देश के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे | दरअसल, भारत के आजाद होने के बाद भारत में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार होने लगा था | केरल के इस अस्पताल का जवाहर लाल नेहरू ने उद्घाटन किया और इसके 3 साल पहले ही जवाहर लाल नेहरू ने टीसीएच अस्पताल का उद्घाटन किया था |
1954 के फरवरी में जब मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल का उद्घाटन हुआ तो प्रधानमंत्री उसी वक्त चोटिल हो गए तो वहां ही उनका इलाज करना पड़ा |Dr Kesavan Nair: Vaidyasastrathile Ithihasam नाम की एक किताब में छपे इस किस्से में बताया गया है कि अस्पताल के उद्घाटन के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को बिल्डिंग में किसी मैटेरियल की ग्रिल से चोट लग गई | ग्रिल में अंगुली फंसने से उनकी अंगुली में चोट आई और उद्घाटन के तुरंत बाद ही उनका इलाज करना पड़ा |
इस वक्त मशहूर सर्जन रहे डॉ आर केसवन नायर ने उनका इलाज किया,जो मेडिकल कॉलेज के संस्थापक अधीक्षक भी थे | जिसके बाद इस अस्पताल के लिए कहा जाता है कि ये ऐसा अस्पताल है, जिसका उद्घाटन करने वाले प्रधानमंत्री ही इसके पहले मरीज बन गए थे |
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