एस्ट्रो डेस्क: देवदिदेव महादेव का तीसरा नेत्र समस्त सृष्टि के विनाश के लिए उत्तरदायी है। यह हिंदू पौराणिक कथाओं में वर्णित है। प्राचीन मान्यता के अनुसार जब सृष्टि का विनाश हुआ तो महादेव ने अपने तीसरे नेत्र का प्रयोग किया। और इस पूरी सृष्टि के विनाश के समय महादेव का तीसरा नेत्र खुल जाता है।
महाभारत के छठे खंड में, नारद ने महादेव और पार्वती के बीच बातचीत का उल्लेख किया है। और वहीं से महादेव जानते हैं कि सृष्टि के विनाश के समय उन्होंने अपना तीसरा नेत्र कैसे खोला। देवर्षि नारस के अनुसार एक बार महादेव हिमालय में अन्य सभी देवताओं और ऋषियों के साथ एक बैठक में बैठे थे। तभी पार्वती ने आकर खेलते हुए महादेव की दोनों आंखें पकड़ लीं।
दुख हर किसी के जीवन में आता है, लेकिन अपने दुख से दूसरों की परेशानी न बढ़ाएं
महादेव के आंखे छिपाते ही सारा संसार अँधेरा हो जाता है, मानो सूर्य का कोई वजूद ही नहीं है। सारे जानवर चिल्ला उठे। लेकिन महादेव को यह स्थिति नजर नहीं आती। तभी उनके माथे पर तीसरा नेत्र प्रकट हुआ।