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दर्द से तड़प रहे मासूम को दर-दर भटकती रही मां,न डॉक्टर न मिला स्ट्रेचर

कानपुर : यूपी सरकार के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भले ही नायक फिल्म के अनिल कपूर बनकर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों डॉक्टर न मिला स्ट्रेचर का औचक निरीक्षण कर उनमें सुधारने लाने का प्रयत्न कर रहे हैं, लेकिन स्वास्थ विभाग है कि सुधरने का नाम नहीं ले रहा. ताजा मामला कानपुर के उर्सला सरकारी अस्पताल का है, जहां एक मां अपने घायल बेटे को गोद में लेकर दर-दर भटकती रही, लेकिन बेबस महिला को न डॉक्टर मिला, न दवाई मिली और न ही स्ट्रेचर मिली.

एक वार्ड से दूसरे वार्ड के चक्कर काटती रही महिला

यह आलम किसी एक अस्पताल का नहीं है, बल्कि रोजाना किसी न किसी सरकारी अस्पताल में ऐसी घटना देखने को मिल जाती है. उर्सला अस्पताल में अपने बेटे का इलाज कराने आई एक मां बच्चे को गोद में लेकर एक वार्ड से दूसरे वार्ड तक डॉक्टरों को दिखाने के लिए चक्कर काटती रही, लेकिन न तो उस महिला को डॉक्टर मिला और नाही स्ट्रेचर. यही हकीकत है शहर के सरकारी अस्पतालों की.

इलाज की जगह हैलट अस्पताल में जाने की दी सलाह

दरअसल, गुरुवार सुबह करीब 10:30 बजे एक महिला अपने 6 साल के बच्चे, जिसके ऊपर अलमारी गिर गई थी उसे इलाज के लिए उर्सला अस्पताल लेकर पहुंची. पहले तो वो स्ट्रेचर या व्हील-चेयर खोजती रही, लेकिन जब दर्द से बच्चा बेहोश हो गया तो वो उसे अपनी गोद में लेकर इमरजेंसी की तरफ भागी, लेकिन इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टरों ने उसे ओपीडी में जाने को कहा. जब वो महिला ओपीडी पहुंची तो वहां से यह कह कर हैलट जाने की सलाह दी कि यहां पर उसके बच्चे का इलाज ठीक से नहीं हो पाएगा, क्योंकि यहां डॉक्टर अच्छे नहीं है.

अलमारी गिरने से बच्चा हुआ घायल

मौके पर मौजूद डॉक्टर और अस्पताल का अन्य स्टाफ का दिल नहीं पसीजा और वहां से महिला को ऐसे ही बिना स्ट्रेचर या व्हीलचेयर के ही जाने दिया. घायल बच्चे के ऊपर अलमारी गिर गई थी, जिससे उसके शरीर में कई जगह से हड्डियां टूट गई थी, जिसकी वजह से वो दर्द सहन नहीं कर पाया और बेहोश हो गया. उसके बाद भी धरती के भगवान का दिल नहीं पसीजा और उसे फर्स्ट ऐड तक नही दिया. बच्चा न तो बैठ पा रहा था और न ही चल पा रहा था.

समाजवादी पार्टी ने ट्वीट कर साधा निशाना

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर समाजवादी पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, ‘यूपी में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल! कानपुर के उर्सला अस्पताल में स्ट्रेचर की तलाश में बेटे को गोद में लेकर भटकती बेबस मां का रोता हुआ वीडियो विचलित करता है. अस्पतालों में ना तो डॉक्टर हैं ,ना दवाई और ना ही स्ट्रेचर. प्रदेश में ध्वस्त स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ज़िम्मेदार हैं मुख्यमंत्री.

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