इजरायल ने पाकिस्तान पर बड़ा हमला किया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाकिस्तान पर हमला बोलते इज़रायल ने कहा है कि पाकिस्तान इस तथ्य को नहीं बदल सकता कि अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को उसकी धरती पर शरण दी गई और वहीं मारा गया। इज़रायल ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस्लामाबाद की “दोहरी नीतियों” की कड़ी आलोचना की।
पाकिस्तान ने दी आतंकवादी को शरण
संयुक्त राष्ट्र में इज़रायल के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत डैनी डैनन ने पाकिस्तान के प्रतिनिधि आसीम इफ्तिखार अहमद की ओर इशारा करते हुए कहा कि जब बिन लादेन को पाकिस्तान में मारा गया था। तो सवाल यह नहीं था कि ‘विदेशी जमीन पर एक आतंकवादी को क्यों निशाना बनाया गया? किसी ने वह सवाल नहीं पूछा। सवाल यह था कि ‘एक आतंकवादी को शरण क्यों दी गई ? आज भी वही सवाल पूछा जाना चाहिए।
हमास को भी नहीं मिलनी चाहिए छूट
इजरायल ने कहा कि जब बिन लादेन को कोई छूट नहीं मिली थी तो हमास को भी कोई छूट नहीं मिलनी चाहिए। यह तीखी बहस तब हुई जब सुरक्षा परिषद में कतर की राजधानी दोहा में हमास नेताओं पर इज़रायली हमले पर चर्चा हो रही थी।
पाकिस्तान ने इजरायल को क्या कहा ?
पाकिस्तानी प्रतिनिधि अहमद ने अपने बयान में इज़रायल की आलोचना करते हुए कहा कि कतर पर उसका हमला गैरकानूनी और अकारण आक्रामकता थी। जो क्षेत्रीय शांति को कमजोर करने वाले एक बड़े और निरंतर आक्रामक पैटर्न का हिस्सा है। अहमद ने इज़रायल पर अंतरराष्ट्रीय कानून के बार-बार उल्लंघन का आरोप लगाया, जिसमें गाजा में क्रूर सैन्य कार्रवाई और सीरिया, लेबनान, ईरान और यमन में बार-बार की गई सीमा पार हमले शामिल हैं। यह बैठक 9/11 हमलों की 24वीं वर्षगांठ के दिन हुई। ओसामा बिन लादेन इस हमले का जिम्मेदार था।
इजरायल ने दिया तगड़ा जवाब
इजरायली प्रतिनिधि डैनन ने कहा कि 9/11 का वह त्रासदीपूर्ण दिन इज़रायल के लिए 7 अक्टूबर की तरह ही आग और खून का दिन था। उन्होंने याद दिलाया कि 9/11 के बाद सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव पारित किया था। जिसमें कहा गया था कि कोई भी राष्ट्र आतंकवादियों को न शरण दे सकता है। न उन्हें फंड कर सकता है और न उनकी मदद कर सकता है। जो भी सरकार ऐसा करती है, वह इस परिषद की बाध्यकारी जिम्मेदारियों का उल्लंघन करती है। यह सिद्धांत तब भी स्पष्ट था और आज भी बरकरार रहना चाहिए।
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