कोलकाता : कलावा धारण करने की परंपरा काफी पुरानी है। आमतौर पर इसे किसी पर्व-त्योहार और पूजा-पाठ से समय धारण किया जाता है। इसके अलावा चैत्र नवरात्रि की अवधि में भी इसे धारण करना अत्यंत शुभ माना गया है। इसे बनाने में 3 तरह के धागों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें लाल, पीले या सफेद रंग के धागे का इस्तेमाल किया जाता है। मान्यता है कि इसके 3 धागे तीन शक्तियों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के प्रतीक हैं। हिंदू धर्म में इसे रक्षा के निमित्त धारण किया जाता है।
यही कारण है कि इसे रक्षा सूत्र भी कहते हैं। माना जाता है कि जो व्यक्ति विधि-विधान से धारण करता है उसकी हर प्रकार के कष्टों से रक्षा होती है। आइए जानते हैं कि धारण करने की सही विधि क्या है और अलग-अलग कामना की पूर्ति के लिए किस प्रकार का कलावा धारण किया जाता है।
कलावा धारण करने की सावधानियां
धर्म शास्त्रों के मुताबिक कलावा सूत का बना होना चाहिए। इसे मंत्रों के साथ ही बांधना चाहिए। साथ ही इसे किसी भी दिन पूजा का बाद धारण करना चाहिए। लाल, पीला और सफेद रंग का बना हुआ कलावा सबसे अच्छा माना गया है। पुराने कालावे को ऐसे स्थान पर रखना चाहिए ताकि उसमें किसी का पैर ना लगे।
अलग-अलग कामनाओं के लिए कौन सा कलावा धारण करें ?
* शिक्षा में उन्नति और पढ़ाई में एकाग्रता के लिए नारंगी रंग का कलावा धारण किया जाता है। इसे किसी भी बृहस्पतिवार के दिन धारण करना उत्तम माना गया है।
* विवाह संबंधी समस्या को दूर करने के लिए सफेद रंग का कलावा किसी शुक्रवार के दिन सुबह के समय धारण करना चाहिए।
* वहीं रोजगार और आर्थिक लाभ के लिए नीले रंग का कलावा बांधना अच्छा माना गया है। इसे किसी शनिवार की संध्या में धारण करना चाहिए। साथ ही इसे किसी बुजुर्ग से बंधवाना चाहिए।
* इसके अलावा नकारात्मक शक्तियों से रक्षा के लिए काले रंग का सूती धागा बांधना चाहिेए। हालांकि इसे धारण करने पहले मां काली के चरणों में अर्पित करें। इसके साथ किसी अन्य धागे को ना बांधें। हर प्रकार से रक्षा के लिए लाल, पीले और सफेद रंग का कलावा धारण करना उत्तम माना जाता है।
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