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ज़िन्दगी में पैसे की अहमतियत

हमारी रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी में पैसे की अहमतियत दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। डेली ट्रेवल करने वाले लोगो को तो टूटे पैसों यानि की सिक्को की एहमियत है एहसास होता है है क्यूंकि हर छोटे बड़े काम के लिए पैसों की ज़रूरत को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। कभी-कभी सिक्का न होने की वजह से बहुत दिक्कते भी होती और ये बात आम लोगो को पता ही होती है।

सिक्को की शुरुवात का इतिहास

सभी पर अलग-अलग डिजाइन और सन् पड़ी होती हैं जिससे हमें पता चलता है कि ये सिक्का कब का है। सिक्कों की हमारी ज़िन्दगी में इतनी एहमियत होने के बाद भी क्या पाने कभी इस बात पर ध्यान दिया है की सबसे पहले देश में पहली बार सिक्का कब और किसने बनाया था और किसी राज्य में सबसे पहले सिक्का चलन में आया था।

1600 के दशक में अंग्रेज हमारे देश में व्यापार करने के मकसद से घुस चुके थे और 1613 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने उस समय से शासक बादशाह जहांगीर की इजाजत से पहला कारखाना सूरत में खोल दिया था।

जहाँ वो अपना कारोबार शुरू कर मुग़ल सल्तनत को फ़ायदा दे रहे है हालाँकि तब तक अंग्रेजो का भारतीय शासन में कोई दखल नहीं था लेकिन धीरे धीरे 1750 के दशक तक आते आते अंग्रेजों ने भारतीय राजनीति में हस्तक्षेप करना शुरु कर दिया और  सन् 1757 में प्लासी का युद्ध जीतने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में काफी हद तक भारतीय शासन के अधिकार आना भी शुरु हो गए थे।

जब अंग्रेजों ने प्लासी की लड़ाई जीत ली तब इसके बाद बंगाल के नवाब के साथ एक संधि की गई। इस संधि के बाद से ही अंग्रेजों को सिक्के बनाने का अधिकार मिल गया। इस अधिकार को प्राप्त करने के बाद ब्रिटिश कंपनी ने सबसे पहले सन 1757 में कोलकाता के एक पुराने किले के भवन में टकसाल की नींव रखी। 19 अगस्त 1757 में पहली बा र एक रुपए का सिक्का जारी किया गया। इसमें सबसे ख़ास बात ये रही की ईस्ट इंडिया कंपनी ने इससे पहले सूरत, बॉम्बे और अहमदाबाद में भी टकसाल की स्थापना की थी लेकिन सबसे पहला एक रुपए का सिक्का कोलकाता की टकसाल से ही निकला था।

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वैसे तो सूरत में सबसे पहली टकसाल स्थापित हुई थी मगर मांग को देखते हुए सिक्के न बन पाने के कारण 1636 में अहमदाबाद में टकसाल शुरु की गई। इसके बाद सन 1672 में बॉम्बे में भी टकसाल की स्थापना की गई। बंगाल, मद्रास और बॉम्बे टकसाल में अलग-अलग सिक्के चलन में थे।

भारत की आज़ादी उस समय से ही छीनना शुरू हो गयी थी और इसके सबूत उस समय में बनने वाले सिक्को में देखे जा सकते है। उस समय चलने वाले सिक्कों के अग्र भाग में ब्रिटिश शासको या महारानियों के चित्र उत्कीर्ण होते थे। इन सभी  सन 1947 में देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिलने के बाद भी ब्रिटिश काल के सिक्कों का चलन भारत में 1950 तक रहा। भारत का पहला सिक्का सन् 1950 में ढाला गया। इसके बाद 1962 में एक रुपए का सिक्का चलन में आया जो आज तक बाजारों में चल रहा है और हम सभी की ज़रूरत से बखूबी वाकिफ भी है !!!!

 

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