Homeलाइफ स्टाइलधर्म और शोषण के बिना ब्राह्मी-समाज, क्या है ये ब्रह्मी समाज ?

धर्म और शोषण के बिना ब्राह्मी-समाज, क्या है ये ब्रह्मी समाज ?

 एस्ट्रो डेस्क : महामहिम कार्ल मार्क्स मानव सभ्यता के सच्चे सहयोगी थे उन्हें एक महान स्वप्नद्रष्टा भी कहा जा सकता है शोषण से मुक्त वर्गविहीन समाज की स्थापना का सपना एक शुद्ध और परोपकारी मानवता की अभिव्यक्ति है। लेकिन सपने हमेशा के लिए मायावी रह जाते हैं जब तक कि मानव चेतना के स्रोत और स्रोत की अंतर्दृष्टि न हो। मार्क्स के पास वह नहीं था यद्यपि अर्थव्यवस्था मानव जीवन और समाज की नियंत्रक शक्तियों में से एक है, यह एकमात्र शक्ति नहीं है; मुख्य बल भी नहीं मुख्य शक्ति उसका अज्ञान है जो आत्मकेंद्रितता की ओर ले जाता है जिसके परिणामस्वरूप उसके लोभ और वासना में परिणाम होता है। आत्म-पहचान अज्ञात है धने का मतलब है कि वह बढ़ना चाहता है वह जहां है, वहां से एक व्यापक दायरे में जाना चाहता है वास्तव में यही उसका स्वधर्म है क्योंकि वह ब्रह्म है, अर्थात् चेतना में बड़ा है तो बढ़ने की इच्छा ही उसकी आत्म-भावनात्मक प्रेरणा है लेकिन वह चेतना में विकसित हुए बिना, भीतर विस्तार किए बिना बाहर बढ़ना चाहता है लेकिन बाहर सीमित है और मुक्त नहीं है तो लोभ, संघर्ष, आक्रोश और संघर्ष यह अर्थशास्त्र का अर्थ है यह धन और वस्तुओं को नियंत्रित करने की आंतरिक इच्छा है दूसरों को वंचित करके स्वयं को समृद्ध और संरक्षित करने की इच्छा मत्स्यन्याया की घुसपैठ 6 बीरभोग्य बसुंधरा का सिद्धांत 7 आनंद लें, आनंद ही लक्ष्य है अग्नि जैसी किसी चीज से दुख तृप्त नहीं होता 6 और युद्ध, विजय, सीमा विस्तार, बाजार की खोज और अधिकार, पेट्रोडॉलर, आधिपत्य, साम्राज्यवाद, आदि। यदि किसी एक स्थिति में आर्थिक समानता स्थापित हो भी जाती है तो वह अस्थाई ही होती है क्योंकि बुद्धि की शुद्धि के बिना बौद्धिक शोषण, बौद्धिक असमानता आर्थिक समानता का उल्लंघन करेगी। अर्थात् शोषण के बिना वर्गविहीन समाज की स्थापना तब तक असम्भव है जब तक कि मानव बुद्धि अंधाधुंध उपभोग को छोड़ने के लिए प्रवृत्त न हो। बुद्धि को ऊंचा किया जाना चाहिए, ताकि समाज कभी भी वर्गविहीन न हो, लेकिन यह निश्चित रूप से शोषण के बिना ब्राह्मी समाज हो सकता है, अगर धर्म ही प्रेरक शक्ति है।

काल्पनिक आध्यात्मिकता , ‘यह सब फिर क्या है? आखिर क्यों…..

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