भागदौड़ वाली ज़िन्दगी में भूलने की बीमारी शायद सबको ही है | कई बार आप भूल जाते होंगे की अपने चाभी कहा राखी ,कई बार आप बात करते करते ये भूल जाते होंगे की आप क्या कहने जा रहे थे, कई बार आप अपने दोस्तों का बर्थडे भी भूल जाते होंगे। अब आपको शायद इस भूलने की बीमरी की आदत हो गयी हो। पर क्या आपको पता है भूलने की बीमारी का सबसे बड़ा कारण स्ट्रेस होता है। आज कल लोग इस तरह से काम कर रहे है की अपनी तबियत पर बिलकुल भी ध्यान नहीं देते है।इसीलिए अब ये भूलने की बीमारी सिर्फ बुजुर्गों में ही नहीं बल्कि युवाओं में भी देखने को मिल रही है।
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सहारे का भरोसा
आज हम जिस तरह से तकनीक पर मुहताज हो गए हैं उससे हम परलयज़ेड बन गए हैं। हमें छोटी-छोटी बातों के लिए गूगल का सहारा ले लेते है। इस वजह से हम चीजों को याद रखने की कोशिश भी नहीं करते हैं। धीरे-धीरे छोटी-छोटी बातों को भूलने की आदत कब बीमारी बन जाती है, हमें खुद ही नहीं मालूम होता। अधिक धूम्रपान या मादक पदार्थों का सेवन भी भूलने की बीमारी का कारण बनता है। अगर आपको भी ऐसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलिए। अल्जाइमर और डिमेंशिया के पीछे कोई एक कारण नहीं है। बल्कि भूलने की बीमारी के कई कारण हो सकते हैं।
शराब या सिगरेट की लत
आपने अक्सर देखा होगा कि जो व्यक्ति शराब, सिगरेट का सेवन अधिक करता है उसकी याददाश्त कमजोर होती जाती है। जो लोग ज्यादा शराब सिगरेट का सेवन करते है वह किसी मुद्दे पर ध्यान केंद्रित होकर बात को सुन नहीं पाता जिस वजह से वह भूलने लगता है।
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सोशल मीडिया का चस्का
वर्तमान समय में भूलने की बीमारी का एक प्रमुख है सोशल मीडिया का अधिक इस्तेमाल। हम आज वाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि जैसे माध्यमों के बिना एक पल भी नहीं रह सकते। अगर हम कोई काम भी कर रहे हैं तो बार-बार फोन देखते हैं। इस वजह से हम जो काम कर रहे हैं उस पर पूरा ध्यान नहीं लगा पाते। और हमारे फोकस में कमी आने लगती है। यह आदत केवल युवाओं में ही नहीं बुजुर्गों में भी है।
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नींद पूरी ना होना
आज जिस तरह की भागदौड़ वाली ज़िन्दगी है उसमे अनिमायमित नींद होना नार्मल बात है । उससे दिनचर्या में भी बदलाव आता है। कई अध्ययनों से यह सामने आया है कि युवाओं में नींद की अनियमितता याददाश्त को कमजोर करती है। देर रात तक मोबाइल का इस्तेमाल नींद में बाधा डालता है। चिकित्सकों का मानना है कि सोने से आधे घंटे पहले मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ज्यादा समय स्क्रीन पर निकालना आंखों को तो नुकसान देता ही है, साथ ही याददाश्त भी कमजोर करता है।
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