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यूरोप में मंकी पॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए यूपी में अलर्ट जारी

यूरोप में मंकी पॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए यूपी सरकार ने भी अलर्ट जारी कर दिया है।स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने विदेश से लौटै यात्रियों की निगरानी के लिये कहा है। अस्पतालों में आने वाले मरीजों में बुखार व शरीर पर चकत्ते मिलने पर तुरंत मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालयों को सूचित करने के निर्देश दिये गये हैं। सीएमओ लखनऊ ने बताया कि यूरोप और अमेरिका में मंकीपॉक्स फैल रहा है। यूपी में वहां से बहुत से लोग आते-जाते हैं। इसलिये ऐसे लोगों पर निगरानी की जरूरत है। इसलिये सरकारी व निजी अस्पतालों को अलर्ट पर रहना जरूरी है। यदि मंकी पॉक्स के लक्षणों जैसा कोई मरीज मिलता है तो उसे तुरंत भर्ती करके आइसोलेट किया जाये।

स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश दिये गए हैं कि संदिग्ध मरीज के नमूने लेकर पुणे स्थित लैब में भेजकर उसकी जांच करायी जाये। मरीज का नमूना लेने और उसकी जांच के लिये भारत सरकार की एडवाइजरी का पालन करने के लिये कहा है। जिससे अन्य लोगों में संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।मंकी पॉक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। यह संक्रमण संक्रमित जानवर के काटने या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ या फिर उसको छूने से हो सकता है।

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क्या होता है मंकी पॉक्स

मंकीपॉक्स जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाला वायरस है। इसमें चेचक के रोगियों जैसे लक्षण होते हैं। इसका कोई सटीक इलाज नहीं है। संक्रामक होने के बावजूद इसे कम गंभीर माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी जानलेवा नहीं है फिर भी संक्रमण से बचाव के लिये सावधान रहना जरूरी है।

क्या हैं लक्षण

मंकी पॉक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है

संक्रमित जानवर के काटने या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ या फिर उसको छूने से हो सकता है

मंकी पॉक्स संक्रमित जानवर का मांस खाने से भी हो सकता है

इसके लक्षण बुखार, दाने और सूजी हुई लिम्फ नोड्स हैं और इससे कई तरह की मेडिकल कॉम्पलिकेशन्स हो सकती हैं।

आमतौर मंकीपॉक्स पर 2 से 4 सप्ताह तक रहता है।

मंकीपॉक्स का इलाज चेचक के समान किया जाता है।

मंकीपॉक्स चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर है।

चेचक के टीके भी मंकीपॉक्स से सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम हैं।

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