70 Hazaar Ki Aabadi Wala Lakshhdweep In Dino Ubal Raha Hai , Jaaniye Kya Keh Rahe Waha Ker Log . lakshyadweep me kya hua hai , lakshya deep controversy , laksdep case
देश के सबसे द्वीप में से एक लक्षद्वीप में प्रशासक और स्थानीय नेताओं पर विवाद शुरू हो गया है. कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया पर ट्रेंड भी कर रहा था दरअसल, यहां के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ स्थानीय लोगों में कोरोना मिसमैनेजमेंट के साथ ही द्वीपवासियों के खाने-पीने पर टिप्पणी को लेकर नाराजगी है
लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल ने कहा कि जब से गुजरात के पूर्व विधायक प्रफुल्ल पटेल को दिनेश्वर शर्मा के निधन के बाद नया प्रशासक नियुक्त किया गया, तब से लक्षद्वीप के लोगों की परेशानी बढ़ गई है. उनका कहना है कि नए प्रशासक अपने “मनमाने तरीकों” से “भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने को खराब” कर रह
बीफ़ बैन, डर फैलाने के गंभीर आरोप पर प्रशासक ने कहा, सबकुछ नियमों के मुताबिक़
लक्षद्वीप के कावाराती में रहने वाले 47 साल के सैफ़ुद्दीन और उनका 10 लोगों का परिवार मछली पकड़ने का काम करता है. लेकिन पिछले एक हफ़्ते से अधिक समय से उनका काम ठप है हाल ही में आए तौक्ते तूफ़ान में उनकी नाव को नुक़सान हुआ, जिसके कारण वो समुद्र में नहीं जा पा रहे. तूफ़ान और मौसम का क़हर इन द्वीपों के लिए कोई नई बात नही है.
लोग अक्सर इनसे निपटने के लिए तैयार रहते हैं सरकार ने नए नियमों की ड्रॉफ़्ट नोटिफ़िकेशन जारी की है. यहाँ के आम लोग, पंचायत और सांसद का कहना है कि ये नोटिफ़िकेशन, नियमों को ताक पर रखकर और बिना चुने हुए प्रतिनिधियों की सलाह के लाए गए हैं इनमें बीफ़ बैन, पंचायत चुनाव में उन लोगों के लड़ने पर पाबंदी, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं, लोगों की गिरफ़्तारी और भूमि अधिग्रहण से जुड़े नए नियम शामिल हैं. ये सभी अभी ड्राफ़्ट हैं, जिन्हें अगर गृह मंत्रालय की मंज़ूरी मिल जाए, तो ये क़ानून की तरह लागू हो जाएँगे लेकिन इन सभी फ़ैसलों को वापस लेने और पटेल को पद से हटाने की माँग हो रही है
अधिकारियों के हाथ में ज़्यादा पावर देने का आरोप
सैफ़ुद्दीन का कहना है कि कई दशकों से वो अपनी नाव को समुद्र के किनारे एक शेड में रखा करते थे लेकिन हाल ही में ज़िला प्रशासन की तरफ़ से उन्हें एक नोटिस भेजा गया कि वो शेड ग़ैर-क़ानूनी है “नोटिस भेजे जाने के एक दिन के भीतर रात के 12 बजे हमारे शेड तोड़ दिए गए. हम कोर्ट जाते, तब तक उन्हें तोड़ा जा चुका था. ये शेड मेरे पैदा होने के पहले के बने हुए थे, मेरे पिता भी अपनी नाव को सुरक्षित रखने के लिए इसी का इस्तेमाल करते थे” “अब हमारे पास नाव रखने की जगह नहीं है, प्रशासन के आदेश के कारण, इन्हें पानी में ही छोड़ना पड़ता है, इसलिए जब तूफ़ान आया तो नाव को बहुत नुक़सान हुआ. समुद्र के किनारे से नाव के शेड हटाने का आदेश पहले कभी नहीं दिया गया” बीबीसी से वहाँ के एक मछुआरे ने ऐसे नोटिस की कॉपी वॉट्सऐप पर शेयर की डिप्टी कलेक्टर के दफ़्तर से जनवरी में जारी किए गए इस नोटिस में लिखा है कि ग़ैर-क़ानूनी ढाँचे को “इस नोटिस के मिलने के दो दिनों के अंदर हटाया जाए, अन्यथा नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी”
पटेल ने इसे “स्थानीय प्रशासन की अतिक्रमण के ख़िलाफ़ कार्रवाई” बताया है इस मामले को लेकर केरल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसपर सुनवाई चल रही है
मुस्लिम बहुल आबादी, लेकिन बीफ़ पर बैन का प्रावधान
लोगों का आरोप है कि पटेल की कोशिश वहाँ के खानपान को बदलने की भी है फ़रवरी 2021 को एक और नोटिफ़िकेशन जारी किया गया, जिसमें बीफ़ पर बैन लगाने की बात कही गई है. किसी भी व्यक्ति को “प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर बीफ़ बेचने, रखने, स्टोर करने, ट्रांसपोर्ट करने, बेचने के लिए प्रदर्शित करने या बीफ़ और इससे जुड़ा कोई प्रोडक्ट ख़रीदने” पर पांबदी होगी
साल 2011 की जनगणना के मुतबिक़ लक्षद्वीप में 96 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी मुसलमानों की है. यहाँ के लोगों का कहना है कि बीफ़ उनका मुख्य भोजन है
कावाराती पंचायत के चेयरमेन अब्दुल क़ादिर ने बीबीसी से कहा, “यहाँ पर ज़्यादातर आबादी मुसलमानों की है, ये हमारा मुख्य खाना है, हमें ये अपना खाना खाने से रोकना चाहते हैं. बीफ़ के कारोबार से भी कई लोग जुड़े हैं, उन पर रोज़गार का संकट आ गया है”
सांसद फ़ैसल कहते हैं, “हमें इस बात से नाराज़गी है कि वो हमें अपनी पसंद का खाना भी नहीं खाने देना चाहते, मिड डे मील में भी बीफ़ बंद कर दिया गया है” एनिमल प्रिवेंशन रिग्यूलेशन के तहत जारी किए गए इस ड्राफ़्ट में गाय, भैंस और बैल का ज़िक्र है
पटेल ने इन आरोपों के जवाब में कहा कि इसे “सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है देश के कई हिस्सों में ऐसे नियम लागू हैं और इन पर पहले चर्चा हो चुकी है”
दो बच्चों से ज़्यादा हैं, तो नहीं लड़ सकते पंचायत चुनाव
फ़ैसल और पंचायत से जुड़े लोगों का आरोप है कि पटेल पंचायत और जनप्रतिनिधि की ताक़तों को कम करना चाहते हैं. फ़ैसल का आरोप है कि नए नियम “पंचायत से ताक़त छीनकर प्रशासक के हाथ में ताक़त” देने के लिए बनाए गए हैं
अब्दुल क़ादिर कहते हैं, “ये सीधे तौर पर लोकतांत्रिक अधिकार छीनने की कोशिश है. आप एक बेबुनियाद नियम बनाकर किसी को चुनाव लड़ने से कैसे रोक सकते हैं” पटेल ने आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि ऐसे नियम दूसरे राज्यों में भी हैं और इनमें कुछ ग़लत नहीं है
राजनीतिक पार्टियों का विरोध
बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मसले पर ट्विट किया, “लक्षद्वीप समुद्र में भारत का गहना है. सत्ता में बैठे अज्ञानी इसे नष्ट कर रहे हैं. मैं लक्षद्वीप के लोगों के साथ खड़ा हूं”
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक ट्वीट कर लिखा, “आपको लगता होगा कि बीजेपी पहले उन जगहों को बर्बाद करेगी, जहाँ वो चुन कर आई है, इससे पहले कि वो वहाँ जाए, जहाँ उनकी मौजूदगी नहीं है लेकिन ऐसा लगता है कि उनका सिद्धांत है – अगर नहीं टूटा है, तो तोड़ दो”
थरूर ने एक ट्वीट कर दावा किया है कि इस मुद्दे को लेकर बीजेपी के युवा मोर्चा के आठ सदस्यों ने इस्तीफ़ा दिया है राज्यसभा सांसद केसी वेणुगोपाल और इलामरण करीम ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर मामले में दख़ल देने की अपील की है
प्रशासक न इस द्वीप को समझते हैं और ना ही यहां के लोगों को
लक्षद्वीप के लोग बहुत सादा जीवन जीते हैं। यहां के लोग अपनी इकोलॉजी और इकोसिस्टम को समझते हैं। अधिकतर लोग मछली पकड़ने या नारियल से जुड़े उत्पाद बनाने के काम में जुटे हैं। इसके अलावा यहां कोई इंडस्ट्री या और कोई काम नहीं हैलक्षद्वीप दिखने में मालदीव जैसा है।
ऐसे में लक्षद्वीप की तुलना मालदीव से भी की जाती है। मालदीव में पर्यटन काफी विकसित है। इस लिहाज से लक्षद्वीप प्रशासन का तर्क है कि उसे भी मालदीव की तरह ही डेवलप किया जाना चाहिए ताकि आमदनी बढ़ सके। फसीला इस तुलना को नकारते हुए कहती हैं, ‘मालदीव एक देश है। उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह पर्यटन पर निर्भर है, लेकिन लक्षद्वीप भारत का एक छोटा सा केंद्र शासित प्रदेश है। लक्षद्वीप को मालदीव की तरह विकसित करने की जरूरत नहीं है
वे कहती हैं कि लक्षद्वीप का इकोलॉजिकल सिस्टम मालदीव जैसा नहीं है। मालदीव में करीब दो हजार द्वीप हैं जो एक तरह से दूसरे द्वीपों और एटोल से सुरक्षित हैं, लेकिन लक्षद्वीप में ऐसा नहीं है। यहां के द्वीप गहरे समदंर में हैं। मानसून इन द्वीपों को प्रभावित करता है। यदि आप यहां कोई वॉटर विला शुरू करते हैं तो हर मानसून में उसकी मरम्मत करनी होगी। बात दरअसल ये है कि लक्षद्वीप के प्रशासक न इस द्वीप को समझते हैं और ना ही यहां के लोगों को।
Written By : Geeta
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