आजकल की बदलती जीवनशैली में लोगों का खानपान बिगड़ा है जिसका खामियाजा हमारा शरीर कई गंभीर बीमारियों के रूप में चुकाता है। अस्वस्थ खान-पान की आदतें, खासकर यदि हमारा आहार प्रोसेस्ड फूड्स, ज्यादा नमक, चीनी और अस्वस्थ वसा से भरपूर हो तो यह हमारी गुर्दों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है किडनी रोग के खतरे को बढ़ा सकता है। चलिए जानते हैं किडनी को स्वस्थ रखने के लिए किन चीज़ों से दूरी बनाना है ज़रूरी ?
अधिक नमक (सोडियम) का सेवन
यदि हम अपने दैनिक आहार में अधिक मात्रा में नमक या सोडियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं, तो यह रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) को बढ़ा सकता है, जिससे किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और यह धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। इसके अलावा, अधिक नमक शरीर में पानी की अधिक मात्रा को रोकने (वॉटर रिटेंशन) का कारण बन सकता है, जो किडनी की सेहत के लिए हानिकारक है।
प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन
प्रोसेस्ड फूड्स में अक्सर अस्वस्थ वसा, अधिक चीनी और अधिक सोडियम की मात्रा अधिक होती है, जिससे मोटापा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह (डायबिटीज) का खतरा बढ़ जाता है। ये सभी स्थितियां गुर्दों को नुकसान पहुंचा सकती हैं और उनके कार्य को प्रभावित कर सकती हैं।
शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन)
पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने से किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है, क्योंकि गुर्दों को सही तरीके से कार्य करने और शरीर से विषाक्त पदार्थ (टॉक्सिन्स) बाहर निकालने के लिए पर्याप्त जलयोजन (हाइड्रेशन) की आवश्यकता होती है।
अधिक कैफीन का सेवन किडनी को नुकसान
अत्यधिक कैफीन (चाय, कॉफी, सॉफ्ट ड्रिंक्स) का सेवन किडनी पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है और किडनी स्टोन (पथरी) के खतरे को बढ़ा सकता है। दिनभर में बहुत अधिक चाय/कॉफी पीने से शरीर में पानी की कमी और वॉटर रिटेंशन हो सकता है, जो धीरे-धीरे गुर्दों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
शराब का अधिक सेवन
अत्यधिक शराब का सेवन किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है। गुर्दे सिर्फ खून को फिल्टर करने का काम नहीं करते, बल्कि शरीर में जल संतुलन (वॉटर बैलेंस) बनाए रखने में भी मदद करते हैं। शराब का अधिक सेवन शरीर को डिहाइड्रेट कर सकता है। जिससे गुर्दों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इसके अलावा, शराब रक्तचाप को बढ़ाने का कारण बन सकती है। जो किडनी रोग के मुख्य कारणों में से एक है। ज्यादा शराब पीने से लिवर भी प्रभावित होता है। जिससे गुर्दों को सामान्य से अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जो उन्हें कमजोर बना सकता है।
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