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यूपी चुनाव 2022: जेपी नड्डा की मेरठ में अग्निपरीक्षा आज…….

यूपी चुनाव 2022: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में अब कुछ ही महीने बचे हैं. ऐसे में बीजेपी अपने पाले में ज्यादा से ज्यादा पानी लाने की पूरी कोशिश कर रही है. इस बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शनिवार को मेरठ आ रहे हैं। नड्डा आज यहां 25 हजार से अधिक बूथ अध्यक्षों को न केवल संबोधित करेंगे, बल्कि विजय मंत्री को भी देंगे.

 जेपी नड्डा के अलावा डिप्टी सीएम भी मौजूद रहेंगे

बीजेपी ने चुनावी तैयारियों को तेज करने की तैयारी तेज कर दी है. शनिवार को नड्डा पश्चिमी यूपी के 14 जिलों के 71 विधानसभा क्षेत्रों के 25 हजार बूथ अध्यक्षों को जीत का मंत्र देंगे. यह सम्मेलन सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ के मैदान में हो रहा है. जहां बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, केंद्रीय पशुपालन एवं मत्स्य पालन राज्य मंत्री डॉ. संजीव बाल्यान समेत बीजेपी के अन्य मंत्री और दिग्गज नेता भी मौजूद रहेंगे.

 मूड को भाप देंगे जेपी नड्डा

पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मिजाज काफी बदल गया है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक बीजेपी अब यहां पहले जैसी मजबूत नहीं रही. दरअसल, किसान आंदोलन की वजह से यहां के हालात काफी बदल गए हैं. आंदोलन तो खत्म जरूर हुआ है, लेकिन भाजपा के प्रति किसानों का आक्रोश अभी भी जारी है, यही वजह है कि नड्डा चुनाव से पहले यहां की स्थिति सुधारना चाहते हैं.

 वेस्ट यूपी में बीजेपी को चुनौती

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन ने पहले ही बीजेपी के खिलाफ माहौल बना दिया है. इसके अलावा मेरठ के डबथुवा में सात दिसंबर को हुई सपा-रालोद गठबंधन की रैली भी बीजेपी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. यहां सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ने मिलकर लाखों की भीड़ को संबोधित किया.

 पश्चिम यूपी पर भी सपा-रालोद की नजर

सबसे खास बात यह है कि सपा और रालोद के गठबंधन के बाद पश्चिम यूपी में गठबंधन की यह पहली रैली थी. यह रैली सिवलखास विधानसभा क्षेत्र के दबथुवा में आयोजित की गई थी. इस रैली को ऐतिहासिक बनाने के लिए दोनों पार्टियों ने हर संभव कोशिश की. रैली में भी काफी भीड़ देखी गई। आइए जानते हैं इस रैली का बीजेपी पर क्या असर पड़ सकता है.

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क्या इस गठबंधन से बीजेपी को नुकसान होगा?

सबसे अहम सवाल यह उठता है कि क्या इस गठबंधन से बीजेपी को नुकसान होगा. दरअसल, पश्चिमी यूपी में करीब 13 सीटें ऐसी हैं, जिन पर जाटों या किसानों का कब्जा है। वहीं कृषि अधिनियम (अब वापस ले लिया गया) और एमएसपी समेत विभिन्न मांगों को लेकर किसान भाजपा से नाराज हैं। किसानों की नाराजगी का लाभ रालोद को मिल सकता है। इसके अलावा राजनीतिक जानकारों की माने तो इन इलाकों का मुस्लिम समुदाय पहले से ही बीजेपी से नाराज है, जिसका सीधा फायदा सपा को होगा. ऐसे में यह गठबंधन पश्चिमी यूपी में बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन जेपी नड्डा इस नुकसान को कितना कम कर पाते हैं, यह देखने वाली बात होगी.

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