एस्ट्रो डेस्क: जीवन का सबसे बड़ा सत्य मृत्यु है। जो संसार में आया है, उसे एक दिन संसार छोड़ना ही पड़ेगा। मौत का नाम सुनते ही हर कोई डर जाता है। जैसे-जैसे मौत नजदीक आई, अपनों के प्रति आकर्षण बढ़ता गया। ऐसे में व्यक्ति अपनी जान नहीं देना चाहता। मौत के कगार पर खड़ा इंसान अपने करीबियों से बहुत कुछ कहना चाहता है। लेकिन वे कुछ नहीं कह सकते। मुंह बंद है, मुंह में कोई भाषा नहीं है। हालांकि ऐसा क्यों है इसका जिक्र गरुड़ पुराण में मिलता है।
इस वजह से मुंह बंद है
गरुड़ पुराण के अनुसार, जब मृत्यु का समय निकट आया, तो यम के दो दूत आए और उस व्यक्ति के सामने खड़े हो गए। उन्हें देखकर वह व्यक्ति भयभीत हो गया। उसे एहसास होता है कि वह अब और नहीं जी सकता। इस समय वह बहुत कुछ कहना चाहता है, लेकिन कह नहीं पाता, क्योंकि दूत उछल-उछल कर उस व्यक्ति की जान लेने लगता है। ऐसे में मुंह से गुर्राता है और व्यक्ति अवाक हो जाता है।
उसकी आँखों के सामने तैरती सारी हरकतें
गरुड़ पुराण के अनुसार जिस समय जामदूत व्यक्ति के शरीर से प्राण निकालना शुरू करता है, वह व्यक्ति जीवन की सभी घटनाओं को एक बार फिर अपनी आंखों के सामने होते हुए देखता है। यह उसका कर्म है। इसी के आधार पर यमराज ने मनुष्य का जीवन इस प्रकार बनाया। इसलिए जीवन में अच्छे कर्म करने पर जोर दिया जाता है, ताकि मृत्यु के समय वे उस नेक काम को अपने साथ ले जा सकें।
जो व्यक्ति भ्रम से मुक्त होता है, उसे अधिक कष्ट नहीं होता है
कृष्ण ने यह भी कहा कि मनुष्य को अपने कर्म स्वयं करने चाहिए और मोह में नहीं पड़ना चाहिए। हालांकि, पैदा होने के बाद ज्यादातर लोग भ्रम और जादू में पड़ जाते हैं। इस भ्रम को त्यागकर प्राण त्यागने में कोई विशेष कठिनाई नहीं होती। जो व्यक्ति मृत्यु के समय भ्रम और भ्रम में रहता है, उसे जामदूत घसीटता है और ऐसे व्यक्ति को जीवन त्यागने के लिए बहुत कष्ट सहना पड़ता है।
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लेकिन जो लोग अपने परिवारों के प्यार में नहीं पड़ते और भगवान की भक्ति में डूब जाते हैं, वे शांति से मर जाते हैं। इसके अलावा अच्छे कर्म करने पर भी उसका जीवन आसानी से छूट जाता है। हालांकि, अगर किसी व्यक्ति ने बुरे कर्म किए हैं, तो उसे मृत्यु के समय बहुत कुछ भुगतना पड़ता है।