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पंचांग का विशेष महत्व: जानिए इस दिन क्या करें और क्या न करें

एस्ट्रो डेस्क : हिंदू धर्म में पंचांग का विशेष महत्व है। गुरुवार 4 नवंबर को अमावस्या की तिथि के बाद प्रस्ताव तिथि 26:46:00 बजे तक है। अमावस्या की तिथि पिता देवता द्वारा शासित होती है और प्रतिपदा तिथि अग्नि देवता द्वारा शासित होती है। गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से दीर्घायु प्राप्त होती है।

आज क्या करें और क्या न करें

गुरुवार को दक्षिण की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि आवश्यक हो तो सरसों या जीरा खाकर घर से निकलें। इस तिथि में पीतल के पात्र में भोजन करना वर्जित है। माता-पिता के काम और सर्जरी के लिए यह तिथि शुभ है। नीचे दिन के शुभ समय, दिशा का स्थान, राहुकाल और गुलिक काल की वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है।

04 नवंबर 2021 दिन – गुरुवार पंचांग

सूर्योदय:- सुबह 05:30 बजे

सूर्यास्त: – 06:30 अपराह्न

विशेष—गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

विक्रम संवत – 2078

शॉक संबत – 1943

दर्पण:- दक्षिणायन

ऋतु:- शरद ऋतु

महीना: कार्तिक मास

पार्टी – कृष्णपक्ष

तिथि:- अमावस्या तिथि 26:46:00 बजे तक और फिर प्रतिपदा तिथि

तिथि स्वामी:- अमावस्या तिथि पर पिता देवता का शासन होता है और प्रतिपदा तिथि पर अग्नि देव का शासन होता है।

नक्षत्र:- 23:20:25 स्वाति नक्षत्र और फिर विशाखा नक्षत्र

नक्षत्र स्वामी :- राहु देव जी स्वाति नक्षत्र के स्वामी हैं और गुरु देव जी विशाखा नक्षत्र के स्वामी हैं।

जोड़ें:- 11:08:40 तक प्यार करें और फिर शुभकामनाएं

निर्देश:- गुरुवार के दिन दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि आवश्यक हो तो सरसों या जीरा खाकर घर से निकलें।

गुलिक काल:- हैप्पी गुलिक काल 09:19:00 AM से 10:42:00 AM

राहुकाल:- आज का राहुकाल दोपहर 01:26:00 अपराह्न से 02:01:00 अपराह्न तक।

तिथि का महत्व: इस तिथि को पीतल के पात्र में भोजन करना वर्जित है। माता-पिता के काम और सर्जरी के लिए यह तिथि शुभ है।

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