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प्रधानमंत्री ने आज भारत खिलौना मेला 2021 का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन किया। इसमें आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत “वोकल फॉर लोकल” के लिए देश को खिलौना निर्माण का वैश्विक हब बनाने के मकसद से बाल विकास मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय ,महिला विकास मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय मिलकर इसका आयोजन कर रहे हैं ।
कितने रजिस्ट्रेशन हुए हैं
Pradhanmantri Ne Bharat Khilona Mela
इसमें अभी तक 10 लाख रजिस्ट्रेशन कराए जा चुके हैं। छात्र इस प्रतियोगिता के माध्यम से पढ़ाई आदि के लिए खिलौने, डिजाइन और तकनीक तैयार करेंगे। जिसमें विजेताओं को ₹50 लाख का इनाम पुरस्कृत किया जाएगा । इसमें छठी कक्षा से छात्रों का कौशल विकास समिति छोटे कारीगरों के साथ मिलकर इंटर्नशिप करने के तहत कई कार्य कराए जाएंगे। Pradhanmantri Ne Bharat Khilona Mela
आत्मनिर्भर भारत के तहत छात्र अपनी सोच, तकनीक और हुनर के जरिए अंतरराष्ट्रीय खिलौना बाजार में भारतीय मार्केट को मजबूती प्रदान करेंगे। इसमें पेरेंट्स स्टार्टअप इंडस्ट्रियल पॉलिसी आदि सभी को एक मंच पर मिलकर काम करना होगा।
भारत में कितने का खिलौना बाजार
आपको बता दें की देश में करीब 1.5 अरब डॉलर का विशाल खिलौना बाजार है। जिसमें से 80% खिलौने दुसरे देश से यानि विदेश से आते हैं। ऐसे में पहली बार स्कूल के बच्चे और कॉलेज के छात्रों के साथ मिलकर के खिलौने के माध्यम से हमारे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का काम किया जाएगा।
प्रतियोगिता नौ थीम पर आधारित रहेगी । जिसमें प्राचीन काल से भारत को जानो, इतिहास ,भारतीय संस्कृति, लर्निंग एजुकेशन , सोशल एंड ह्यूमन वैल्यू, जैसे विभिन्न क्षेत्रों पर आधारित रहेगा। Pradhanmantri Ne Bharat Khilona Mela
मंत्री ने वीडियो माध्यम से वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा हमारे देश के खिलौना उद्योग में कितनी बड़ी ताकत छिपी है यह इस बात से साबित होता है हमें इस ताकत को बढ़ाना है इसके पहचान को बढ़ाना है पहला खिलौना मेला केवल एक व्यापारिक या आर्थिक कार्यक्रम भर नहीं है।बल्कि यह कार्यक्रम तो हमारे देश की सदियों पुरानी खेल और उल्लास की संस्कृति को मज़बूती प्रदान करने की एक कड़ी है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा जो शतरंज दुनिया में इतना लोकप्रिय है वह पहले ‘चतुरंग या चारदुरंगा’ के रूप में भारत में खेला जाता था आधुनिक लूडो तब पच्चीसी के रूप में खेला जाता था हमारे ग्रंथों में भी बाल राम के लिए अलग-अलग तरह के खिलौनों का वर्णन भी मिलता है जिस तरह भारतीय जीवन शैली का एक हिस्सा यह खेल रहे हैं वैसे ही ज्यादातर भारतीय खिलौने प्राकृतिक और इको फ्रेंडली जैसी चीजों से बनते हैं। Pradhanmantri Ne Bharat Khilona Mela
इन में सवार होने वाले रंग भी प्राकृतिक और सुरक्षित होते हैं हमारे यहां यह खिलौने कैसे बनाए जाते थे जो बच्चों को चहुंमुखी विकास में योगदान दें।खिलौनों के वैज्ञानिक पक्ष को समझने की जरूरत के बारे में प्रधानमंत्री अपने विचार साझा करते हुए बोले की हमारी परंपराओं, खानपान और परिधानों में यह विविधताएं एक ताकत के रूप में दिखाई देती है। इसी तरह भारत का खिलौना उद्योग इस यूनीक इंडियन पर्सपेक्टिव को और भारतीय विचार बोध को प्रोत्साहित भी करती है।
खिलौनों से होगा बच्चों का विकास
Pradhanmantri Ne Bharat Khilona Mela
खिलौनों का जो वैज्ञानिक पक्ष है बच्चों के विकास में खिलौनों की जो भूमिका है उसे अभिभावकों को समझना चाहिए और अध्यापकों को स्कूल में भी उसे प्रयोग करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने आगे बताया नए राष्ट्र शिक्षा नीति में प्ले-आधारित और गतिविधि आधारित शिक्षा को बड़े पैमाने पर शामिल किया गया है। यह ऐसी शिक्षा व्यवस्था है जिसमें बच्चों में पहेलियां और खेलों के माध्यम से रचनात्मक सोच बढ़े, इस पर विशेष ध्यान दिया गया है। Pradhanmantri Ne Bharat Khilona Mela
खिलौना उद्योग को मिला प्रमुख दर्जा
देश में खिलौना उद्योग को 24 प्रमुख क्षेत्रों में दर्जा दिया गया है नेशनल टाॅय एक्शन प्लान भी तैयार किया गया है। जिसमें 15 मंत्रालयों और विभाग को शामिल किया गया है।ताकि यह उद्योग प्रतिस्पर्धी बने देश खिलौनों में आत्मनिर्भर बने और भारत के खिलौने पूरी दुनिया में जाएं।आज खिलौना मेला के अवसर पर यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस ऊर्जा को आधुनिक अवतार दें इन संभावनाओं को साकार करें और आज मेड इन इंडिया की डिमांड है तो हैंड मेड इन इंडिया की डिमांड भी उतनी ही तेज़ी से बढ़ रही है। Pradhanmantri Ne Bharat Khilona Mela
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