Homeलाइफ स्टाइलहस्तरेखा शास्त्र: मनोवांछित सफलता में बाधक है यह पर्वत.......

हस्तरेखा शास्त्र: मनोवांछित सफलता में बाधक है यह पर्वत…….

 एस्ट्रो डेस्क : हस्तशिल्प में मंगल का क्षेत्र शक्ति का प्रतीक माना जाता है। जातक के हाथ में निम्न और उच्च मंगल के साथ मंगल के दो क्षेत्र होते हैं। हस्तशिल्प में इन दोनों पर्वतों का व्यक्ति के जीवन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार मंगल का प्रभाव व्यक्ति के पूरे जीवन में देखा जा सकता है। यदि मंगल मजबूत और शुभ स्थिति में हो तो ऐसा व्यक्ति निडर स्वभाव का होता है। तालु में अन्य पर्वतों के साथ मंगल का मिलन भी जीवन में कई संकेत देता है।

यदि ऊपरी मंगल बुध पर्वत की ओर बढ़ता है तो ऐसे व्यक्ति का स्वभाव जलता हुआ होता है। ऐसे लोग अपने आप को बहुत वीर और योद्धा समझने लगते हैं। इससे व्यक्ति के साथ प्रतिकूल स्थिति उत्पन्न हो जाती है और वह टूटने की स्थिति में पहुंच जाता है। यदि मंगल इस स्थिति में हो तो जातक के शरीर में रक्त संचार बढ़ता है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के हाथ में कोई रेखा मंगल पर्वत से निकलकर जीवन रेखा पर पहुंचकर उसे काट दे तो उस उम्र में जब वह जीवन रेखा को पार कर जाती है तो दुर्घटना होने की संभावना रहती है। इस योग में व्यक्ति अपने अंगों को खो देता है।

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मंगल पर क्रॉस या द्वीप की उपस्थिति व्यक्ति को सिर दर्द, थकान और क्रोध जैसी गंभीर बीमारी देती है। हालांकि यदि मंगल पर्वत अविकसित स्थिति में हो तो जातक को अवसाद से गुजरना पड़ सकता है। यदि मंगल पर्वत से कोई रेखा चन्द्र पर्वत पर पहुँचती है तो ऐसा जातक निर्णय लेने में देरी करने और गलत कार्य करने का आदी होता है। मंगल का चंद्र पर्वत जब कुचला जाता है तो मनचाही सफलता न मिलने के कारण व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है। यदि मंगल ग्रह पर अशुभ राशि हो तो यह आर्थिक समस्याओं और पारिवारिक समस्याओं का कारण बनता है।

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