डिजिटल डेस्क : अब कानपुर की सड़कों की मनमानी खोदाई नहीं होने पाएगी। खोदाई से पहले रडार तकनीक से तैयार की गई रोड के नीचे की पाइप लाइनों की मैपिंग रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इससे पाइप लाइनें भी नहीं फटेंगी और खोदाई के दौरान केबिल भी नहीं कटेंगी। इसके लिए पहली बार नगर निगम रडार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करेगा। अंडरग्राउंड सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है।
इस टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि नगर निगम कहीं भी सड़क की खोदाई की अनुमति देगा तो संबंधित विभाग, कंपनी, संस्था या ठेकेदार को अंडरग्राउंड मैपिंग की रिपोर्ट भी सौंपेगा। इससे खोदाई करने वालों को यह पता रहेगा कि वहां जमीन के नीचे कितनी-कितनी दूरी पर कौन-कौन सी पाइप लाइनें या केबिल गुजर रही है। रोड कटिंग से पहले ही सतर्कता बरती जाएगी और मैप के आधार पर खोदाई हो सकेगी। जाहिर है खोदाई से अन्य पाइप लाइनें प्रभावित नहीं होंगी। केबिल कटने या पाइप लाइनें डैमेज होने का खतरा नहीं होगा।
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1.5 करोड़ रुपये का बजट
यह अंडरग्राउंड मैपिंग रडार टेक्नोलॉजी के सॉफ्टवेयर से कनेक्ट रहेगी। खोदाई करते वक्त भी देखा जा सकेगा कि अब कितनी दूर पाइप रह गई है। स्मार्ट सिटी के बजट से इस पर 1.5 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। बताते चलें कि अभी तक शहर में मनमाने तरीके से रोड कटिंग होती रही है। खोदाई होते ही तमाम पाइप लाइनें कट जाती हैं और शहरवासियों को दिक्कत झेलनी पड़ती है।
नगर आयुक्त शिव शरणप्पा जीएन ने बताया कि रडार टेक्नोलॉजी की शहर को जरूरत थी। रोड कटिंग में पाइप ध्वस्त हो रहीं थीं। इसलिए इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। अंडरग्राउंड मैपिंग की रिपोर्ट आसानी से सौंपी जा सकेगी। इससे पाइपों में लीकेज नहीं होंगे। लीकेज बनाने में लाखों रुपए खर्च और पानी की बचत भी होगी।