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भगवान कृष्ण ने इसी माह दिया था गीता का ज्ञान, जानें गीता की महिनमा

 एस्ट्रो डेस्क : हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल के नौवें महीने को अगन कहा जाता है। अगले महीने को मार्गशीर्ष भी कहा जाता है। यह महीना मृगशिरा नक्षत्र से जुड़ा है। इस महीने की पूर्णिमा का संबंध मृगशिरा नक्षत्रों से है। इसी वजह से इस महीने को मार्गशीर्ष के नाम से जाना जाता है। मार्गशीर्ष मास को भगवान कृष्ण का रूप माना जाता है। इस मास को मगसर, मंगसिर, अगन, अग्रहयन आदि के नाम से भी जाना जाता है। यह महीना बेहद पवित्र माना जाता है। भगवद गीता में भगवान कृष्ण स्वयं इस महीने की महिमा बताते हैं।

 इस महीने में भगवान कृष्ण की पूजा करने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। सतयुग में देवताओं ने वर्ष की शुरुआत मार्गशीर्ष के महीने में कृष्णपक्ष की तिथि से की थी। ऋषि कश्यप ने भी इसी महीने कश्मीर की स्थापना की थी। इस माह जमुना में स्नान का विशेष महत्व है। इस महीने के दौरान गर्म कपड़े, कंबल, बिस्तर, भोजन और भोजन का विशेष महत्व है। तुलसी की माला, चंदन, मोर पंख, पीतांबर, प्रदीप आदि का दान करना भी शुभ माना जाता है। यह महीना भगवान कृष्ण को प्रिय है। मार्गशीर्ष महीने में शुक्लपक्ष की एकादशी को श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस महीने गीता जयंती भी मनाई जाती है। इस माह गीता दान करना भी शुभ माना जाता है। मार्गशीर्ष के महीने में जरूरतमंदों को भोजन कराएं। मार्गशीर्ष के महीने में देने और देने का विशेष महत्व है। भगवान कृष्ण ने गोपियों को मार्गशीर्ष महीने के महत्व के बारे में भी बताया। भगवान कृष्ण ने कहा कि मार्गशीर्ष के महीने में यदि कोई व्यक्ति जमुना में स्नान करे तो उसे आसानी से मिल जाएगा। इस माह में अधिकांश समय गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।

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