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सृष्टि के रचयिता ब्रम्ह देव के 4 सिर क्यों है, जानें इसकी पौराणिक कथा

 हिन्दू धर्म कई रहस्यों से भरा हुआ है. जितना जानने की कोशिश करें उतना ही कम है. हिन्दू पुराणों में उल्लेख है कि सृष्टि की रचना परमपिता ब्रम्हा (Lord Bramha) द्वारा की गई है. हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार संसार के जीव-जंतु, पेड़-पौधे, नर-नारी सभी की रचना भगवान ब्रम्हा ने की है. यह कार्य उन्हें भगवान शिव (Lord Shiva) ने सौंपा था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सृष्टि की रचना के समय ब्रम्हा के 5 मुख हुआ करते थे, और इन्हीं से वह सभी दिशाओं (All Directions) में देखा करते थे, लेकिन आज हम जहां भी देखते हैं वहां तस्वीरों में ब्रम्ह देव के 4 मुख ही दिखाए जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्रह्म देव का 5वां सिर कहां गया? आइए जानते हैं.

पौराणिक कथाओं के अनुसार
हिन्दू पौराणिक कथाओं में सारी सृष्टि, जीव-जंतु, पेड़-पौधे, नर-नारी सभी भगवान ब्रम्हा द्वारा रचित बताए गए हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान ब्रम्हा के चार सिर हैं जो चारों वेदों के प्रतीक हैं. ब्रम्ह देव का एक सिर और हुआ करता था. मतलब उनके कुल 5 सिर थे. कथाओं में उल्लेख मिलता है कि जब ब्रह्म देव ने सारी सृष्टि की रचना कर ली, तब सृष्टि में मानव विकास के लिए उन्होंने एक बेहद सुन्दर स्त्री को बनाया. जिसका नाम सतरूपा था. देवी सतरूपा वैसे तो ब्रम्हा की पुत्री थीं.

परन्तु वे इतनी सुन्दर थीं कि ब्रम्ह देव उनको देखते ही उनपर मोहित हो गए और उनको अपनाने के लिए आगे बढ़े, देवी सतरूपा उनसे बचने के लिए हर दिशा की तरफ जाने लगीं लेकिन ब्रम्ह देव ने अपने 3 सिर और उत्पन्न कर हर तरफ से देवी सतरूपा को देखना नहीं छोड़ा. जब सतरूपा ब्रम्ह देव की नजरों से नहीं बच पाईं. तब वे ऊपर की तरफ दौड़ने लगीं. उस समय ब्रम्ह देव ने अपने एक और सिर की उत्पत्ति की जो ऊपर की तरफ देख सके. देवी सतरूपा की ब्रम्हा से बचने की हर कोशिश नाकाम साबित हो गई.

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