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यूपी में अपने ही वोटर्स पर करानी पड़ी FIR, जानिए क्या है पुरा मामला..

डिजिटल डेस्क :  यूपी में कई जगह लोग BJP प्रत्याशियों का विरोध कर रहे हैं। 20 से 30 जनवरी के बीच 9 नेताओं को जनता का विरोध झेलना पड़ा। गांव में न घुसने देने का जो ट्रेंड किसान आंदोलन के बीच चल रहा था, वही फिर से शुरू हो गया। विरोध से एक प्रत्याशी तो इतना हलकान हो गए कि अपने ही क्षेत्र की जनता के खिलाफ FIR दर्ज करवा दिया।

अपने ही घर में गुस्से का शिकार हो गए डिप्टी CM

केशव प्रसाद यूपी सरकार में डिप्टी CM हैं। प्रयागराज के पड़ोसी जिले कौशांबी की सिराथू सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। 22 जनवरी को अपने विधानसभा क्षेत्र गुलामीपुर में प्रचार करने पहुंचे तो महिलाओं ने घेरकर नारेबाजी शुरू कर दी। वे केशव मौर्य के खिलाफ नारा लगाने लगीं। डिप्टी CM ने महिलाओं को चुप करवाने की कोशिश जरूर की, पर महिलाएं चुप नहीं हुईं।

वीडियो वायरल हुआ तो सपा नेता आईपी सिंह ने लिखा, ‘पहले कुर्सी खतरे में आई अब स्टूल भी खतरे में है’। दरअसल सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने एक बार कहा था कि केशव प्रसाद मौर्य को मंत्रिमंडल में बैठने के लिए सोफा नहीं बल्कि स्टूल मिलता है। इसके बाद विपक्षी दल केशव प्रसाद पर तंज के लिए स्टूल शब्द का प्रयोग करने लगे।

एमएलसी समझाते रहे राममंदिर का महत्व, लोग नहीं माने

सुरेंद्र चौधरी प्रयागराज जिले से एमएलसी हैं। 29 जनवरी को केशव प्रसाद मौर्य के लिए सिराथू प्रचार करने गए थे। अफजलपुर वारी के लोगों ने गांव में घुसने से पहले ही रोक लिया। सुरेंद्र समझाते रहे कि ‘भइया मेरी सुन लो भाजपा ने राममंदिर बनाया’ लेकिन लोग नहीं माने। आखिर में सुरेंद्र चौधरी को वापस जाना पड़ा।

जनता ने मांगा हिसाब तो विधायक ने जोड़े हाथ

गौरी शंकर वर्मा जालौन की उरई सीट से विधायक हैं। पार्टी ने तो भरोसा जताते हुए फिर प्रत्याशी बना दिया। 29 जनवरी को क्षेत्र में प्रचार करने पहुंचे तो नारेबाजी शुरू हो गई। लोगों ने कहा, ‘पांच साल में न गांव की एक सड़क बनी और न ही नल मिला’। विधायक जी फंस गए और सफाई देने लगे। लोग नहीं माने तो विधायक वहां से निकल गए। घर पहुंचे तो कहा, ‘2 शराबी थे, वही विरोध कर रहे थे, बाकी पूरा गांव हमारे ही साथ है’।

जनता डांटेगी भी, पूछेगी भी

देवेंद्र सिंह लोधी बुलंदशहर की स्याना सीट से भाजपा के विधायक हैं। 25 जनवरी को प्रचार करने पहुंचे तो लोग हूटिंग करने लगे। लोगों का आरोप है कि गांव में न सड़क बनी, न कोई नल लगवाया। वोट मांगने आए हैं तो विरोध करेंगे ही। विधायक ने पहले तो हाथ जोड़े और वहां निकल आए। घर आकर मीडिया से कहा, ‘ये हमारे क्षेत्र की जनता है। मुझे डांटेगी भी और पूछेगी भी, मैं इनको मना लूंगा। ये सभी मुझे ही वोट देंगे’।

अपने ही क्षेत्र की जनता के खिलाफ केस

मुजफ्फरनगर की खतौली सीट से भाजपा के विक्रम सैनी विधायक हैं। 20 जनवरी को मनव्वरपुर गांव में प्रचार करने पहुंचे तो लोगों ने घेर लिया। मुर्दाबाद के नारे लगने लगे। विधायक समझाने की कोशिश करते रहे, लेकिन जनता नहीं मानी। विक्रम सैनी चले गए। उन्हें फिर 29 जनवरी को चांद समंद गांव में घेर लिया गया। नारेबाजी हुई और काफिले की एक गाड़ी का सामने वाला शीशा तोड़ दिया गया। विधायक को अपने ही क्षेत्र के लोगों पर FIR दर्ज करनी पड़ी।

भाजपा के सामने जयंत चौधरी जिंदाबाद

मनिंदर पाल मेरठ की सिवलखास सीट से भाजपा प्रत्याशी हैं। 21 जनवरी को पथोनी गांव में प्रचार करने पहुंचे तो हंगामा हो गया। ‘योगी-मोदी जिंदाबाद’ से ज्यादा ‘जयंत चौधरी जिंदाबाद’ का नारा लगने लगा। दोनो पार्टियों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई। विधायक मनिंदर पाल ने समझदारी दिखाई और खुद ही वापस लौट गए। जाट बाहुल्य पथोनी गांव में भाजपा के नेता जब भी गए उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा है।

कील और आंसू गैस के गोले भूले नहीं

संभल की असमोली सीट पर दो बार से सपा की पिंकी यादव विधायक हैं। उन्हें चुनौती देने के लिए भाजपा के हरेंद्र सिंह रिंकू जोरदार प्रचार कर रहे हैं। 21 जनवरी को शकरपुर गांव पहुंचे तो विरोध शुरू हो गया। ग्रामीणों ने कहा, ‘भाजपा ने गाजीपुर बॉर्डर पर हम लोगों के लिए कील लगाई गई थी। आंसू गैस के गोले छोड़े। हम कुछ भूले नहीं है…कभी वोट नहीं देंगे’। वायरल वीडियो में ये भी कहा जा रहा कि किसी भाजपा नेता को गांव में घुसने नहीं देंगे।

पहली बार चुनाव भी नहीं लड़ने देंगे

फिरोजाबाद की जसराना सीट से भाजपा ने मानवेंद्र सिंह पर भरोसा जताया है। मानवेंद्र की पत्नी ज्योति किरण राजपूत प्रचार करने पहुंची तो विरोध शुरू हो गया। ‘अखिलेश यादव जिंदाबाद’ के नारे लगने लगे। ज्योति वापस लौट गई तो मानवेंद्र का बयान आया। कहा, ‘ऐसी हरकत ठीक नहीं है, हम यहां से पहली बार चुनाव लड़ रहे है और विरोधी ऐसा कर रहे हैं।’

अपने ही हुए पराए

विरोध की इस लिस्ट में प्रेमपाल धनगर का मामला थोड़ा सा अलग है। ऊपर के सभी नेताओं का दूसरी पार्टियों ने विरोध किया, लेकिन प्रेमपाल के खिलाफ उनकी ही पार्टी के लोग खड़े हो गए। 29 जनवरी को नारखी में सर्व समाज की बैठक हुई तो लोगों ने कहा- बाहरी प्रत्याशी नहीं चाहिए। प्रेमपाल अपने कार्यकर्ताओं को नहीं पहचानते। इसके बाद नारेबाजी शुरू हो गई।

सपा नेताओं के साथ जनता क्या कर रही है

इस दौरान सपा-बसपा और कांग्रेस के नेता भी गांव में प्रचार करने पहुंचे, लेकिन गांव से निकाले जाने जैसे कोई घटना सामने नहीं आई। हां, टिकट की आस लगाए प्रत्याशियों को टिकट नहीं मिला तो थोड़ा बहुत हंगामा जरूर हुआ। कौशांबी की चायल सीट पर पूजा पाल को प्रत्याशी बनाया तो सपा के कार्यकर्ताओं ने उनका पुतला जलाकर विरोध किया।

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