बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल भारतीय जनता पार्टी (BJP) इसके लिए देश में ना-ना करते-करते अब बिहार में हां-हां कर रही है | जिसके बाद …बिहार में जातीय जनगणना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा फैसला लिया है । गौरतलब है कि जाति आधारित जनगणना कराने के मुद्दे पर बुधवार को सीएम नीतीश कुमार ने सर्वदलीय बैठक की । मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में बैठक हुई | जिसमें बिहार में किस तरीके से जातीय जनगणना कराई जाए और इसकी रूपरेखा क्या होगी इन सभी विषयों पर सभी राजनीतिक दलों ने अपना पक्ष रखा |
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नौ राजनीतीक दलों के नेताओं ने लिया हिस्सा
सीएम नीतीश द्वारा की गई सर्वदलीय बैठक में 9 राजनीतिक दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया था। जानकारी के मुताबिक, सीएम नीतीश ने बताया कि प्रदेश में जाति आधारित जनगणना कराने को लेकर सर्वसहमति से फैसला लिया गया है। साथ ही उन्होंने फंड का प्रबंध किए जाने की बात भी कही। इस दौरान उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना को निश्चित समय सीमा के अंदर पूरा कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना कराने के लिए नियुक्त किए जाने वाले कर्मचारियों को इसके लिए जरूरी प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। जनगणना के पूरा होने के बाद इसके आंकड़े भी जारी किए जाएंगे।
दो बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास
बता दें ,बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों से पूर्व में दो बार सर्वसम्मति से जातीय जनगणना कराने का प्रस्ताव पास हो चुका है | मगर इसके बावजूद भी तब तक राज्य तब तक राज्य में जारी जनगणना नहीं कराई जा सकी है | पिछले साल नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को उठाया था जिसके बाद अब नीतीश कुमार भी तेजस्वी के साथ इस मुद्दे पर नजर आए |
क्यों राज़ी हुई बीजेपी
बीजेपी की राजनीति का आधार जाति के बड़े हिंदू समाज को माना जाता है। बीजेपी नहीं चाहती कि हिंदू समाज जातियों के आधार पर बंटे, क्योंकि इससे उसका हिंदुत्व का मुद्दा कमजोर पड़ेगा। दरअसल , बीजेपी के साथ वैश्य समुदाय का जुड़ाव रहा है। इस समुदाय में अन्य पिछड़ी जातियां आती हैं। बीजेपी ने क्षेत्रीय दलों की काट में पिछड़ा और अति पिछड़ा नेतृत्व तैयार किया है, लेकिन बिहार सहित उत्तर प्रदेश, हरियाणा आदि में जाति आधारित पार्टियां मजबूत स्थिति में हैं। इसलिए बिहार में जातिगत जनगणना होती हे तो जाति की राजनीति को बल मिलेगा। इससे बीजेपी की समुदाय की राजनीति प्रभावित होगी।
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