अमेठी -राजेश सोनी : जहाँ एक ओर संस्कृत खत्म होने के कगार पर आ गई है वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी लोग हैं जो संस्कृत को बचाने के लिए मेहनत कर रहे हैं। एक ऐसा ही अजूबा अमेठी ज़िले का है जो आज भी अपनी मातृभाषा संस्कृत को बचाने के लिए प्रयास कर रहा है। ये अनोखी पहल अमेठी ज़िले के संग्रामपुर ब्लॉक के ग्राम तिवारीपुर गाँव निवासी दुर्गादत्त तिवारी ने अपनी बेटी के विवाह का कार्ड में छपवाकर समाज को नया संदेश दिया है। विवाह के कार्ड संस्कृत में ही छपाया जाय इसका निर्णय दुर्गादत्त तिवारी के जेष्ठ पुत्र प्रज्ञान्त तिवारी ने किया।
दुर्गादत्त तिवारी के अनुसार व्यवहार में संस्कृत भाषा अपनाने को लेकर संस्कृत विद्वानों, शिक्षकों में ही हिचक बनी रहती है, ऐसे में व्यवहार में लाने के लिए उन्होंने अपने बेटी के विवाह का निमंत्रण पत्र में ही छपवाने का निर्णय किया ।
वही प्रज्ञांत तिवारी ने बताया कि हमारी संस्कृत भाषा को बचाने के लिए हमने भाषा मे कार्ड छपवाने का निर्णय लिया जिसमे बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा साथ ही कार्ड छपने के उपरांत लोगो ने पहली बार जब कार्ड देखा तब हैरानी जताई साथ ही तरह तरह बाते गढ़ने लगे कि क्या यह उचित कदम है क्या लोगो को इसकी समझ हो पाएगी मगर तिवारी बंधु के आत्मबल के आगे नकारात्मक प्रभाव भी न टिक सका जिसके कारण आज तिवारीबन्धु प्रशंसा के केंद्र है। साथ ही सभी बुजुर्गों ने इस कदम की भूरी भूरी प्रशंसा की और आगे आने वाले मांगलिक कार्यक्रम में सभी ने संस्कृत भाषा के प्रयोग को बल देने की बात की.
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