बिहार चुनाव से पहले तेजस्वी यादव आईआरसीटीसी होटल भ्रष्टाचार मामले में फंस गए हैं। राउज एवेन्यू कोर्ट ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और पूर्व सीएम राबड़ी देवी समेत केस के अभियुक्तों पर आरोपों का गठन कर दिया है। हालांकि लालू यादव और राबड़ी देवी ने आरोपों से इनकार करते हुए ट्रायल फेस करने की बात कही है।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है।कोर्ट से फैसले से लालू परिवार को बिहार चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है। सीबीआई की ओर से लगाए गए आरोपों को कोर्ट ने सही बताया है। आईपीसी की धारा 420 और 120बी के अलावे अन्य कुछ धाराओं में आरोप गठित किया गया है।
घोटाला लालू प्रसाद यादव की जानकारी में हुआ – कोर्ट
कोर्ट की ओर से कहा गया है कि यह घोटाला लालू प्रसाद यादव की जानकारी में हुआ। उनकी जानकारी में परिवार के सदस्यों को सस्ते दर पर जमीनें दी गई। आरोपियों की ओर से दी गई दलीलों को कोर्ट ने इनकार कर दिया। अदालत की ओर से कहा गया है कि सबूतों की पूरी चेन है। इस स्कैम के मुख्य साजिशकर्ता लालू यादव ही है। इससे पहले कोर्ट ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद, पूर्व सीएम राबड़ी देवी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सहित अन्य आरोपियों को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था। पेशी के लिए लालू, राबड़ी और तेजस्वी रविवार को दिल्ली पहुंच गए थे।
कोर्ट का निर्णय विधानसभा चुनावों पर बड़ा असर डाल सकता है। अदालत के आदेश से यह तय हो गया कि इस मामले में लालू यादव समेत परिवार के सदस्यों पर मुकदमा चलेगा । यह मामला 2004 से 2009 के बीच लालू प्रसाद के रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान आईआरसीटीसी होटलों के रखरखाव के ठेकों के आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ा है।
क्या है आरोप लालू यादव के परिवार पर
लालू यादव समेत परिवार से सदस्यों समेत 14 लोगों पर आरोप है कि आईआरसीटीसी होटलों के रखरखाव के ठेके लालू से जुड़ी एक बेनामी कंपनी से हासिल की गई तीन एकड़ कीमती जमीन के बदले में दिए गए थे। 7 जुलाई, 2017 को सीबीआई ने एक एफआईआर दर्ज की और लालू प्रसाद और उनके परिवार से जुड़े पटना, नई दिल्ली, रांची और गुरुग्राम स्थित 12 ठिकानों पर छापेमारी की। सीबीआई ने दावा किया है कि सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। वहीं लालू प्रसाद के वकील ने तर्क दिया है कि उनके खिलाफ इस मामले में मुकदला चलाए रखने का कोई वैधानिक तर्क नहीं है।
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