डिजिटल डेस्क: तालिबान बदल गया है। इस तरह जिहादियों ने सत्ता हासिल करने के बाद अपनी छवि सुधारने का ‘नाटक’ किया। लेकिन यह केवल शब्दों की बात है, हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह एक बार फिर स्पष्ट हो गया। एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तालिबान ने 30 अगस्त को हजारा जातीय समूह के 13 सदस्यों को मार डाला। इनमें एक 16 साल की बच्ची भी शामिल थी। अपनी वापसी की शुरुआत से ही तालिबान को अपना स्वभाव बदलने की कोई इच्छा नहीं थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, 30 अगस्त को कम से कम 300 तालिबान लड़ाके अफगानिस्तान के खिदिर जिले में दाखिल हुए थे। फिर शुरू हुई मुक्त हत्या। मारे गए 13 लोगों में से 11 अफगान सेना के पूर्व सदस्य थे। उनमें से नौ को पास के नदी तट पर ले जाया गया। फिर वे एक-एक करके मारे गए और नदी में तैरने लगे।
मरने वालों में 17 साल की एक लड़की भी थी। मासूम के रूप में पहचाने जाने वाले किशोर की तालिबान-अफगान सैनिकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उनके जैसे हजारा समुदाय के एक अन्य सदस्य की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
इससे पहले 19 अगस्त को तालिबान ने हजारा समुदाय के नौ सदस्यों को मार गिराया था। इस बार तालिबान के हाथों हजारा समुदाय के सदस्यों की मौत की खबर सामने आई। न केवल तालिबान, बल्कि उनके “दुश्मनों” में से एक, इस्लामिक स्टेट (खोरासान) ने भी पिछले कुछ महीनों में कथित तौर पर हजारा समुदाय के कई सदस्यों को मार डाला है।
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इस बीच अफगानिस्तान में तालिबान और इस्लामिक स्टेट (खुरासान) के बीच झड़पें तेज हो गई हैं। इस्लामिक स्टेट ने रविवार को काबुल की ईदगाह मस्जिद में एक तालिबान नेता के अंतिम संस्कार के दौरान आत्मघाती हमला किया। सूत्रों ने बताया कि इस घटना में कम से कम 24 लोगों की मौत हो गई। तालिबान के एक प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने जवाबी कार्रवाई में कहा कि काबुल में आईएस के एक अड्डे को नष्ट कर दिया गया है।