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युवक की हत्या का प्रयास मामले में न्यायालय ने आरोपीयों न्यायिक अभिरक्षा में भेजा

राजस्थान: सादिक़ अली : शक के आधार पर रंजिश लिए 3 युवको द्वारा 1 युवक की हत्या का प्रयास करने के आरोप में न्यायालय ने तीनो आरोपीयो को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा ।दरअसल डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा थाना सर्कल में अखेपुर निवासी रतनजी पाटीदार ने थाना सर्कल के ही तीन युवकों विकास पाटीदार निवासी भासोर, मनोज पाटीदार निवासी अखेपुर और महेश पाटीदार निवासी भासोर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।

रिपोर्ट में तीनों युवकों पर पुरानी रंजिश को लेकर अपने पुत्र लोकेश को पादरा गाँव मे हो रही एक शादी में बुलवा पाडवा गाँव के जेला तालाब पर ले जाकर जान से मारने की नीयत से लोकेश पर तीनों युवकों द्वारा लट्ठ पत्थरो से हमला कर लहूलुहान कर दिया गया ।सागवाड़ा पुलिस द्वारा डिटेन के बाद पूछताछ की गई।पुलिस द्वारा पूछताछ के बाद तीनों आरोपी युवकों को न्यायालय में पेश किया गया जँहा न्यायालय के न्यायिक अभिरक्षा के आदेश पर सागवाड़ा पुलिस ने जैल में तीनों युवकों को जमा करवा दिया।

हिरासत और गिरफ्तारी पर्यायवाची नहीं हैं। गिरफ्तारी किसी व्यक्ति को पुलिस द्वारा बलपूर्वक कैद में रखना है। (1) गिरफ्तारी के बाद हिरासत होती है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हिरासत के प्रत्येक मामले में पहले गिरफ्तारी हो। उदाहरण के तौर पर, जब कोई व्यक्ति अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करता है तो वह हिरासत में होता है, इस मामले में गिरफ्तारी नहीं होती है।

“वह (एक व्यक्ति) केवल उस समय ही हिरासत में नहीं होता, जब पुलिस उसे गिरफ्तार करती है, उसे मजिस्ट्रेट के पास पेश करती है और उसे न्यायिक या अन्य कस्टडी पर रिमांड में लेती है। उसे उस वक्त भी हिरासत में कहा जा सकता है जब वह अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करता है और उसके निर्देशों को मान लेता है।

(2) इस प्रकार, जब किसी अभियुक्त ने सत्र अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है, तो सत्र अदालत सीआरपीसी की धारा 439 के तहत जमानत याचिका पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र हासिल कर लेता है।

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